रोजाना सुबह 5 बजे योग करने गांव के सरकारी स्कूल में पहुंच जाती हूं। अगर किसी कारण से सुबह नहीं आ पाई, तब घर का काम पूरा कर शाम को योग करने पहुंचती हूं।’ यह कहना है, बच्चे को साथ लेकर योग करने पहुंची गृहिणी गीता भट्ट का।
वहीं 75 साल की गंगावती अपनी पोती और परिवार के बाकी सदस्यों के साथ रोजाना योग करने पहुंचती हैं। वे कहती हैं कि ये सब अच्छी सेहत के लिए है। इससे उनको फायदा हुआ है और अब कई सालों से योग कर रही हैं।
ये कहानी है, छत्तीसगढ़ के रायपुर के पास स्थित टेमरी गांव के लोगों की। यहां हर दिन योग की पाठशाला लगती है और योग दिवस होता है। इसमें 5 साल के ईशान से लेकर उसकी दादी गंगावती तक योग करने आती हैं। यहां योग ने लोगों को जिंदगी बदल दी।
टेमरी गांव के लोग कहते हैं कि हम को योग के लिए किसी ने प्रेरित नहीं किया, बल्कि अपनी इच्छा से इसे शुरू किया। इसने सेहत दुरुस्त करने के साथ ही युवाओं को भी बदल दिया। अब यहां के युवा योग सीखकर दूसरों को प्रशिक्षण दे रहे हैं।
यहां योग करने बुलाना नहीं पड़ता, लोग खुद पहुंच जाते हैं
साल 2015 से गांव में रोजाना योग की कक्षाएं चल रही हैं। हर दिन सुबह और शाम गांव की ही महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग योग करते दिखाई देते हैं। सर्दी हो या बारिश, योग शिविर में शामिल होने के लिए किसी को बुलाना नहीं पड़ता। वे लोग खुद ही टाइम पर पहुंच जाते हैं।
65 साल की कमला के मुताबिक, योग से मिलने वाले फायदे के बाद अब वह रोजाना योग करती हैं। गांव के हर वर्ग के लोग नियमित रूप से योग कर रहे हैं। उन्हें इसका फायदा भी मिल रहा है। कई लोग जटिल बीमारियों से ग्रस्त थे, उन्हें योग करने से राहत मिली है। जिन्हें देखकर गांव के दूसरे लोग और अन्य गांवों के लोग भी योग करना शुरू कर दिए हैं।
गांव के ही मोहन लाल साहू कहते हैं कि, सर्दी हो, गर्मी हो या फिर बरसात, वे रोजाना योग करने जाते हैं। पहले गांव में सीखने वालों की संख्या काफी कम थी, लेकिन अब सब कुछ बदल गया है। हर घर से लोग योग से जुड़ने लगे हैं। कई लोगों की सेहत से जुड़ी तमाम परेशानियां भी दूर हुई हैं। वे खुद को एक्टिव महसूस करते हैं।