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जम्मू-कश्मीर में वोटिंग का दूसरा फेज:दोपहर 1 बजे तक 37% मतदान; श्रीनगर में सबसे कम 17.95% वोट डले; पुंछ 50% के साथ टॉप पर

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में 6 जिलों की 26 विधानसभा सीटों पर वोटिंग सुबह 7 बजे से शुरू हो गई है। इसमें 25.78 लाख मतदाता शाम 6 बजे तक वोट डाल सकेंगे।

दोपहर 1 बजे तक 36.93 फीसदी वोटिंग हुई है। सबसे ज्यादा पुंछ में 49.94% वोटिंग हुई, जबकि श्रीनगर में सबसे कम 17.95% वोट डले।

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा- जहां कभी वोटिंग के बहिष्कार का ऐलान होता था, आज वहां रिकॉर्ड मतदान हो रहा है।

सेकेंड फेज की 26 सीटों में से 15 सीटें सेंट्रल कश्मीर और 11 सीटें जम्मू की हैं। चुनाव आयोग के मुताबिक, दूसरे फेज में 239 कैंडिडेट्स मैदान में हैं। इनमें 233 पुरुष और 6 महिलाएं हैं।

दूसरे फेज में 131 कैंडिडेट्स करोड़पति और 49 पर क्रिमिनल केस दर्ज हैं। जम्मू-कश्मीर भाजपा अध्यक्ष रविंदर रैना ने अपनी संपत्ति केवल 1,000 रुपए घोषित की है। वोटिंग के दौरान उन्होंने कहा- PDP, NC और कांग्रेस की सरकारों में यहां डर का माहौल था।

पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला गांदरबल और बीरवाह से चुनाव लड़ रहे हैं। उमर लोकसभा चुनाव में बारामुला सीट तिहाड़ जेल से चुनाव लड़े इंजीनियर राशिद से हार गए थे। इस बार भी गांदरबल सीट पर उनके खिलाफ जेल में बंद सरजन अहमद वागे उर्फ आजादी चाचा मैदान में हैं।

18 सितंबर को पहले फेज में 7 जिलों की 24 विधानसभा सीटों के लिए वोटिंग हुई। इस दौरान 61.38% मतदान हुआ। किश्तवाड़ में सबसे ज्यादा 80.20% और पुलवामा में सबसे कम 46.99% वोटिंग हुई।

 

केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा, ‘आज उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि उनका गठबंधन उनसे (राहुल गांधी) खुश नहीं है। राहुल गांधी ने न तो जम्मू में प्रचार किया और न ही कांग्रेस को दी गई सीटों पर पहुंचे। वह वहां नहीं गए जहां उन्हें जाना था, बल्कि यहां (कश्मीर) घाटी की ठंडी हवा का आनंद लेने पहुंचे हैं, जहां उनके पास कोई उम्मीदवार भी नहीं है। उमर अब्दुल्ला ने आज राहुल गांधी को खारिज कर दिया है।’

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा- लोग बड़ी संख्या में वोट करने आ रहे हैं। यह इतिहास बन रहा है। हमें बहुत खुशी है कि पूरी घाटी और जम्मू में उत्साह के साथ मतदान हो रहा है। हर जगह लोग वोट देने के लिए निकल रहे हैं, यहां तक ​​कि उन क्षेत्रों में भी, जहां बहिष्कार के आह्वान होते थे। मतदाताओं में उत्साह है। यह दुनिया को देखना है कि जम्मू-कश्मीर में शांतिपूर्ण, निष्पक्ष तरीके से चुनाव कैसे हो सकते हैं। विधानसभा चुनाव देखने के लिए क्षेत्र में बड़ी संख्या में राजनयिक भी मौजूद हैं।

श्रीनगर के जिला चुनाव अधिकारी बिलाल मोहिदीन ने कहा- यहां 8 विधानसभा क्षेत्र हैं, जिनमें 932 मतदान केंद्रों पर 7.76 लाख मतदाता वोट डाल रहे हैं। सभी मतदान केंद्रों पर लंबी कतारें हैं, हम अच्छे मतदान प्रतिशत की उम्मीद कर रहे हैं।

रिटर्निंग ऑफिसर 27-बडगाम, अफरोजा ने बताया कि एक वोटर वोट डालने आया था, लेकिन उसने कहा कि उसका वोट पहले ही डाला जा चुका है। मैंने जांच की तो उसका आरोप गलत पाया गया। उसके पास मतदाता पर्ची नहीं थी। उससे कुछ पहचान दिखाने का अनुरोध किया गया। बाद में उसे मतदाता पर्ची मिल गई, जिसके बाद उसने वोट डाला।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव देखने के लिए विभिन्न देशों के डिप्लोमेट्स का डेलीगेशन श्रीनगर के बेमिना इलाके के एक मतदान केंद्र पर पहुंचा

नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला, उनके बेटे उमर अब्दुल्ला और उमर के बेटों जहीर और जमीर एक साथ वोट डालने पहुंचे। वोट डालने के बाद उन्होंने उंगली पर लगी स्याही भी दिखाई।

गांदरबल विधानसभा क्षेत्र से डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के उम्मीदवार कैसर सुल्तान गनाई ने दावा किया कि उमर अब्दुल्ला दोनों विधानसभा सीटों से हार रहे हैं। उमर अब्दुल्ला का लोगों से संपर्क टूट गया है। बारामूला लोकसभा सीट पर उनकी हार से साबित हो गया कि उन्होंने जनता का विश्वास खो दिया है। खुद को शर्मिंदगी से बचाने के लिए उन्होंने सुरक्षित बडगाम विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने जम्मू-कश्मीर के वोटर्स से अपील की कि वे विश्वासघात में बर्बाद हुए दशक के बारे में सोचें और याद रखें कि कैसे उनके राज्य की स्थिति खराब कर दी गई थी। जम्मू-कश्मीर बदलाव के शिखर पर है। उन्होंने उनसे अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए सकारात्मक बदलाव सुनिश्चित करने के लिए लोकतंत्र की शक्ति का उपयोग करने की अपील की।

रियासी सीट पर 102 साल के हागी करम दीन भट ने विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाला। उन्होंने कहा- अच्छी सरकार बनेगी तो बहुत काम होंगे। युवाओं को अच्छी शिक्षा मिले, कारोबार स्थापित हो। सभी आएं और वोट डालें और सभी मतदाताओं से अपील करें आओ और वोट करो।

गंदरबाल के एक पोलिंग स्टेशन वोट डालने आए पहले 3 वोटर्स ने मतदान के बाद पेड़ लगाए।

नैशेरा से चुनाव लड़ रहे रविंद्र रैना ने कहा- जम्मू-कश्मीर में भाजपा को प्रचंड बहुमत मिलना चाहिए। मुख्यमंत्री कोई भी हो सकता है। मैं पार्टी का एक साधारण कार्यकर्ता हूं और हम ‘नेशन फर्स्ट’ की भावना के साथ काम करते हैं। जिस तरह से पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है, वह हमारे लिए गर्व की बात है।

जब यहां कांग्रेस, पीडीपी और एनसी की सरकारें थीं, तब यहां डर का माहौल हुआ करता था। आज पीएम मोदी और गृह मंत्री शाह के प्रयासों से यहां खुशी और शांति का माहौल है। यहां रिकॉर्ड मतदान देखेंगे

दूसरे फेज में सबसे ज्यादा 8 श्रीनगर में और सबसे कम 2 सीटें गांदरबल जिले की हैं। इनके अलावा बडगाम और राजौरी की 5-5, रियासी और पुंछ की 3-3 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। श्रीनगर डिवीजन में गांदरबल, श्रीनगर, बडगाम और जम्मू डिविजन में रियासी, राजौरी और पुंछ शामिल हैं। श्रीनगर की हब्बाकदल सीट पर सबसे ज्यादा 16 कैंडिडेट्स चुनावी मैदान में हैं। वहीं राजौरी की बुद्धल में 4 प्रत्याशियों के बीच मुकाबला है।

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) इस फेज की सभी 26 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। गठबंधन में चुनाव लड़ रहे नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 20 जबकि कांग्रेस ने 6 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। भाजपा के 17 जबकि 98 निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में हैं। दूसरे चरण में श्रीनगर जिले में 93 कैंडिडेट्स मैदान में हैं। इसके बाद बडगाम में 46, राजौरी में 34, पुंछ में 25, गांदरबल में 21 और रियासी में 20 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं।

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के फेज 2 के 238 उम्मीदवारों के हलफनामे के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की। ADR की रिपोर्ट के अनुसार, दूसरे फेज के 238 कैंडिडेट की औसत संपत्ति 5.80 करोड़ रुपए है।

238 में से 55% यानी 131 कैंडिडेट्स करोड़पति हैं। इनके पास एक करोड़ या उससे ज्यादा की संपत्ति है। कांग्रेस पार्टी के सभी 6 कैंडिडेट्स करोड़पति हैं, जिनकी औसत संपत्ति 29.39 करोड़ रुपए है। वहीं, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) के 26 में से 19 कैंडिडेट करोड़पति हैं।

जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के कैंडिडेट सैयद मोहम्मद अल्ताफ बुखारी की संपत्ति सबसे ज्यादा 165 करोड़ और सबसे कम निर्दलीय कैंडिडेट मोहम्मद अकरम की 500 रुपए हैं। इनके अलावा जम्मू-कश्मीर भाजपा अध्यक्ष रविंदर रैनाने अपनी संपत्ति केवल 1,000 रुपए घोषित की है।

ADR की रिपोर्ट के अनुसार, दूसरे फेज के 238 में से 21% यानी 49 उम्मीदवारों पर क्रिमिनल केस दर्ज हैं। वहीं 16% यानी 37 कैंडिडेट्स ऐसे हैं जिन पर हत्या, किडनैपिंग जैसे गंभीर मामले दर्ज हैं। 3 उम्मीदवारों पर हत्या की कोशिश के मामले हैं। 7 उम्मीदवारों पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले दर्ज हैं। इनमें से एक पर IPC की धारा 376 के तहत रेप का मामला भी दर्ज है।

सेकेंड फेज की 26 में से 8 रेड अलर्ट सीटें हैं। रेड अलर्ट सीटें उन्हें कहा जाता है जहां 3 या उससे अधिक कैंडिडेट पर क्रिमिनल केस दर्ज हों। 8 सीटों में हब्बाकदल, ईदगाह, बडगाम, गांदरबल, कालाकोट-सुंदरबनी, बीरवाह, जदीबल और खानसाहिब शामिल हैं।

 

गांदरबल विधानसभा अब्दुल्ला परिवार का गढ़ रहा है। इस बार नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला गांदरबल सीट से चुनाव मैदान में है। उनसे दादा शेख अब्दुल्ला 1977 और पिता फारूक अब्दुल्ला 1983, 1987 और 1996 में सीट से चुनाव जीत चुके हैं। हालांकि 2002 में नेशनल कॉन्फ्रेंस यह सीट हार गई थी। 2008 के चुनाव में ​उमर अब्दुल्ला सीट से चुनाव जीते। इसके बाद वो मुख्यमंत्री भी बने। 2014 विधानसभा में शेख इशफाक जब्बार ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के टिकट पर गांदरबल सीट पर जीत दर्ज की थी।

गांदरबल सीट पर 15 उम्मीदवार मैदान में हैं। हालांकि उमर अब्दुल्ला का मुकाबला जम्मू-कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (JKPDP) के बशीर अहमद मीर और 2014 में नेशनल कॉन्फ्रेंस की टिकट से विधायक रहे जम्मू-कश्मीर यूनाइटेड मूवमेंट के शेख इश्फाक जब्बार से है। भाजपा ने यहां से कैंडिडेट नहीं उतारा है। गांदरबल सीट पर जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी (JKAP) के काजी मुबिशर फारूक और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (DPAP) के नेता कैसर सुल्तान गनी चुनाव लड़ रहे हैं।

इनके अलावा अब्दुल्ला के सामने कश्मीर घाटी में आजादी चाचा के नाम से मशहूर अहमद वागे उर्फ सरजन बरकती से भी है। बरकती इस समय जेल में बंद है। उनपर बरकती वुरहान वानी की मौत के बाद भड़काऊ भाषणों देकर युवाओं को आतंकवादी संगठनों में शामिल होने के लिए उकसाने का आरोप है। इससे पहले उमर बारामुला से लोकसभा चुनाव तिहाड़ जेल से चुनाव लड़े इंजीनियर रशिद से हार गए थे। इंजीनियर रशिद की अवामी इत्तेहाद पार्टी की ओर से शेख आशिक मैदान में है। NC-कांग्रेस गठबंधन के बाद गांदरबल जिले के कांग्रेस अध्यक्ष साहिल फारूक ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।

1962 में अस्तित्व में आई बडगाम विधानसभा सीट पर नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) का दबदबा रहा है। पिछले 10 विधानसभा चुनावों में सिर्फ एक बार ऐसा हुआ है जब NC को हार का सामना करना पड़ा है। 1972 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के अली मोहम्मद मीर ने यहां से जीत दर्ज की थी। ऐसे में बडगाम को उमर के लिए एक सेफ सीट कहा जा रहा है।

सीट पर 8 प्रत्याशी मैदान में है, लेकिन मुख्य मुकाबला उमर अब्दुल्ला और JKPDP कैंडिडेट आगा सैयद मुंतजिर मेहदी के बीच है। आगा सैयद मुंतजिर प्रमुख शिया मौलवी और हुर्रियत नेता आगा सैयद हसन मोसावी के बेटे हैं। आगा परिवार कश्मीर के तीन प्रमुख शिया मौलवी परिवारों में से एक है। मोसावी का कश्मीर के बडगाम जिले में धार्मिक और राजनीतिक प्रभाव है। बडगाम विधानसभा में 30 से 33 हजार वोटर शिया हैं जो जिले की आबादी का करीब 35 प्रतिशत है।

इससे पहले सीट का प्रतिनिधित्व मेहदी के चचेरे भाई आगा सैयद रूहुल्लाह ने किया था जो लोकसभा चुनाव में श्रीनगर से संसद के लिए चुने गए है। 2014 के विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रत्याशी आगा सैयद रुहुल्लाह मेहदी बडगाम सीट से चुनाव जीते थे।

नौशेरा विधानसभा परंपरागत रूप से कांग्रेस का गढ़ रहा है। 1962 में अस्तित्व में आने के बाद से 2002 तक लगातार आठ बार कांग्रेस ने यहां जीत दर्ज की, लेकिन 2008 के चुनावों में यह सीट नेशनल कॉन्फ्रेंस के सामने हार गई। इस बार नौशेरा सीट पर भाजपा ने जम्मू-कश्मीर प्रदेश अध्यक्ष रविंदर रैना को एक बार फिर से टिकट दिया है। उनके सामने में 2014 चुनाव में उन्हें कड़ी टक्कर देने वाले तत्कालीन PDP कैंडिडेट सुरेंद्र चौधरी की चुनौती है जो इस बार JKNC के टिकट से चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं पीडीपी ने एडवोकेट हक नवाज चौधरी को टिकट दिया है।

2014 के जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार रविंदर रैना ने 9,503 वोटों के अंतर से नौशेरा सीट पर जीत दर्ज की थी। उन्होंने तत्कालीन तत्कालीन PDP उम्मीदवार सुरेंद्र चौधरी को हराया था।

 

जम्मू के पीर पंजाल इलाके में राजौरी जिले के बुद्धल विधानसभा सीट पर चाचा और भतीजा के बीच मुकाबला है। यह विधानसभा सीट परिसीमन के बाद आधार पर बनी है। भाजपा ने इस सीट से पूर्व मंत्री चौधरी जुल्फिकार अली को टिकट दिया है। उनके सामने नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जावेद इकबाल चौधरी को मैदान में उतारा है। जावेद, जुल्फकार की सगी बड़ी बहन के बेटे हैं। वो कोटरंका ब्लॉक से ब्लॉक विकास परिषद (BDC) का चुनाव जीता और BDC चेयरमैन रहे हैं। जावेद अपनी पत्नी के साथ स्वतंत्र राजनीतिक नेता थे, अगस्त 2024 में नेशनल कॉन्फ्रेंस में शामिल हो गए।

दूसरी तरफ कैंडिडेट्स की नामों की घोषणा से ठीक दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के उपाध्यक्ष चौधरी जुल्फकार भाजपा में शामिल हो गए। जुल्फकार अली पेशे से एक वकील हैं। उन्होंने 2008 और 2014 के विधानसभा चुनावों में PDP के टिकट पर राजौरी जिले की दरहाल विधानसभा से चुनाव लड़ा था। दोनों चुनाव में उन्हें जीत हासिल हुई थी। 2015 से 2018 तक वे महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली PDP-BJP गठबंधन सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे थे। लेकिन BJP के गठबंधन सरकार से बाहर होने के बाद जून 2018 में गठबंधन की ये सरकार गिर गई थी। इसके बाद पूर्व मंत्री अल्ताफ बुखारी के नेतृत्व में कई PDP नेताओं ने साल 2020 में JKAP यानी जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी की स्थापना की थी।

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) ने यहां से युवा चेहरे गुफ्तार अहमद चौधरी को मौका दिया है। बुद्धल विधानसभा क्षेत्र से केवल चार उम्मीदवार मैदान में हैं और चौथे उम्मीदवार बहुजन समाज पार्टी (BSP) के अब्दुल रशीद हैं।

श्रीमाता वैष्णो देवी क्षेत्र पहले जम्मू की रियासी विधानसभा सीट का हिस्सा हुआ करता था। 2022 में परिसीमन के बाद नई सीट श्रीमाता वैष्णो देवी बनी। रियासी का हिस्सा रहते हुए 2014 और 2008 का विधानसभा चुनाव भाजपा ने जीता था।

इस सीट पर पहली बार चुनाव होने जा रहे हैं। रियासी से पिछले दो विधानसभा चुनाव जीतने वाली BJP ने बलदेव राज शर्मा को कैंडिडेट बनाया है। हालांकि इनसे पहले पार्टी ने रियासी के जिला अध्यक्ष रोहित दुबे को उम्मीदवार बनाया, लेकिन कुछ ही घंटों बाद उनका नाम वापस ले लिया। कांग्रेस के उम्मीदवार भूपेंद्र सिंह हैं। वहीं पिछले दो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस कैंडिडेट रहे जुगल किशोर इस बार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट पर करीब 15 हजार बारीदार वोटर्स हैं। बारीदार संघर्ष समिति ने अपने अध्यक्ष श्याम सिंह को निर्दलीय उतारा है। जम्मू में वोटर्स के लिहाज से ये सबसे छोटी सीट है। यहां कुल 55,618 वोटर्स हैं।

  • 5 अगस्त 2019 को आर्टिकल 370 हटाया गया। जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद यहां पहली बार विधानसभा चुनाव हो रहा है।
  • आखिरी बार 2014 में 87 विधानसभा सीटों पर चुनाव हुआ था, जिसमें 4 सीटें लद्दाख की थीं। केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद 7 विधानसभा सीटें बढ़ीं। इसलिए इस बार 90 सीटों पर चुनाव हो रहा है।
  • जम्मू-कश्मीर की 90 विधानसभा सीटों में से 74 जनरल, 7 एससी और 9 सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं।
  • आर्टिकल 370 हटने के पहले विशेष राज्य होने के कारण जम्मू-कश्मीर सरकार का कार्यकाल 6 साल का होता था, लेकिन अब यह 5 साल का ही होगा।

जम्मू-कश्मीर की 90 विधानसभा सीटों पर 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को तीन फेज में वोटिंग होनी है। बहुमत का आंकड़ा 46 है। नतीजे 8 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे। दरअसल, जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। 2014 चुनाव में PDP ने सबसे ज्यादा 28 और भाजपा ने 25 सीटें जीती थीं। दोनों पार्टियों ने मिलकर सरकार बनाई थी।

 

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में 87 लाख 9 हजार वोटर्स हैं। विधानसभा चुनाव के लिए 11838 मतदान केंद्र बनाए जाएंगे। हर बूथ पर औसतन 735 वोटर्स वोट डालेंगे। महिलाओं और दिव्यांग के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। वहीं 360 मॉडल पोलिंग स्टेशन बनाए जाएंगे।

जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार 2014 में विधानसभा चुनाव हुए थे। तब BJP और PDP ने गठबंधन सरकार बनाई थी। 2018 में गठबंधन टूटने के बाद सरकार गिर गई थी। इसके बाद राज्य में 6 महीने तक राज्यपाल शासन (उस समय जम्मू-कश्मीर संविधान के अनुसार) रहा। इसके बाद राष्ट्रपति शासन लागू हो गया।

राष्ट्रपति शासन के बीच ही 2019 के लोकसभा चुनाव हुए, जिसमें BJP भारी बहुमत के साथ केंद्र में लौटी। इसके बाद 5 अगस्त 2019 को BJP सरकार ने आर्टिकल -370 खत्म करके राज्य को दो केंद्र-शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बांट दिया था। इस तरह जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं।

जम्मू-कश्मीर में 2014 के विधानसभा चुनाव में 87 सीटें थीं। जिनमें से 4 लद्दाख की थीं। लद्दाख के अलग होने पर 83 सीटें बचीं थीं। बाद में परिसीमन के बाद 7 नई सीटें जोड़ी गईं। उनमें 6 जम्मू और 1 कश्मीर में है। अब कुल 90 सीटों पर चुनाव होगा। इनमें 43 जम्मू, 47 कश्मीर संभाग में हैं। 7 सीटें SC (अनुसूचित जाति) और 9 सीटें ST (अनुसूचित जनजाति) के लिए रिजर्व हैं।

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में लोकसभा की पांच सीटें हैं। 2024 चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस और भाजपा को 2-2 सीटों पर जीत मिली थी जबकि एक सीट से निर्दलीय इंजीनियर राशिद को जीत मिली थी।

‘यहां बेरोजगारी बड़ी समस्या है। इसके चलते युवा पढ़ाई से भटक रहे हैं। जब से कोविड आया है, यहां का एजुकेशन रेट गिरता जा रहा है। अब पढ़े-लिखे युवाओं ने भी नौकरी से मुंह मोड़ लिया है। वो नौकरी तलाशने में समय जाया करने के बजाय काम-धंधा तलाश रहे हैं। वहीं, बाकी युवा आगे की पढ़ाई जारी रखने के बजाय काम-धंधे के बारे में सोच रहे हैं।’

हम बारीदार समाज से हैं। श्रीमाता वैष्णो हमारी कुलदेवी हैं। हमारे बुजुर्ग सदियों से उनकी पूजा करते आए हैं। यहां जब कोई चढ़ावा नहीं आता था, तब से हम लोग पूजा कर रहे हैं। उस वक्त हम मालिक थे, लेकिन 1986 में बारीदारों को गुफा से बाहर कर दिया गया। श्राइन बोर्ड बनाकर सब अधिकार उसे दे दिए।

 

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