राष्ट्रीय

बढ़ता खतरा! रिटायर्ड DGP हुए डिजिटल अरेस्ट, ठग लिए गए

गुरुग्राम: पंजाब से रिटायर्ड डीजीपी (जेल) 80 वर्षीय अनिल प्रकाश भटनागर से साइबर ठगों ने खुद को कस्टम अधिकारी बताकर झांसे में लिया। करीब दो घंटे तक उन्हें डिजिटल अरेस्ट रखा। उन्होंने जब अपनी पहचान बताकर थोड़ी राहत देने का आग्रह किया तो उनसे ढाई लाख रुपये उनके खाते में जमा करवाने के लिए कहा। उन्हें आश्वस्त किया गया वे यदि जांच में निर्दोष पाए जाते हैं तो यह राशि उनके खाते में वापस जमा करवा दी जाएगी।

5 सितंबर की सुबह रिटायर्ड डीजीपी भटनागर के पास एक कॉल आई। कॉल करने वाले ने अपनी पहचान कस्टम विभाग के अधिकारी सुमेध मिश्रा के रूप में बताई। उसने भटनागर से कहा कि उन्होंने पिछले साल दिल्ली से मलेशिया के वांग झांग क्षेत्र में एक पार्सल भेजा था। इस पार्सल में 16 नकली पासपोर्ट, 58 एटीएम कार्ड और 140 ग्राम नशीला पदार्थ मिला है। कॉल करने वाले ने उन्हें एक मोबाइल नंबर देकर दिल्ली के वसंत कुंज पुलिस स्टेशन में कॉल करने के लिए कहा। जब डीजीपी ने उस नंबर पर कॉल किया तो उन्हें बताया गया कि उन पर मादक पदार्थ और मानव तस्करी मामले की जांच चल रही है। उन्हें डिजिटल अरेस्ट किया जाता है। उन्हें बताया गया कि उनका खाता एचडीएफसी बैंक में है, जहां पर अवैध गतिविधियों से अर्जित रकम ट्रांसफर हुई है।

डिजिटल अरेस्ट के दौरान अजीत श्रीवास्तव ने खुद को सीबीआई का विशेष अधिकारी बताकर बात की। जब बुजुर्ग ने उन्हें बताया कि वे रिटायर्ड डीजीपी हैं। ऐसे में उन्हें थोड़ी राहत दी जानी चाहिए। कॉलर ने भटनागर से कहा कि उनके ऊपर जघन्य अपराध के आरोप हैं। ढाई लाख रुपये जमा करवा दें। ये राशि उनके निर्दोष मिलने पर वापस लौटा दी जाएगी।

गुरुग्राम पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक, अब तक साइबर ठगों ने गुरुग्राम के 120 लोगों को डिजिटल अरेस्ट करके करीब दो करोड़ रुपये की ठगी की वारदात को अंजाम दिया है। ये ठग अपने आपको दिल्ली, मुंबई और सीबीआई का अधिकारी बताकर ठगी की वारदात को अंजाम देते हैं। पाकिस्तान, चीन से इस तरह के कॉल किए जाते हैं। कॉलर पुलिस की वर्दी पहनकर लोगों को डराकर साइबर ठगी की वारदात को अंजाम देते हैं।

डिजिटल हाउस अरेस्ट साइबर क्राइम का नया तरीका है, जिसमें स्कैमर्स पीड़ित को वीडियो कॉल पर डरा-धमकाकर घर पर ही कैद कर लेते हैं। इसके साथ ही उसे इतना परेशान करते हैं कि वह पैसे देने पर मजबूर हो जाता है।

साइबर अपराध थाना प्रभारी नवीन कुमार, ”कानून में डिजिटल अरेस्ट जैसा कोई प्रावधान नहीं है। इस तरह के कॉल से घबराए नहीं। डीजीपी ने जिस खाते में राशि जमा करवाई थी, उसे फ्रीज करवा दिया गया है।”

Related Articles

Back to top button