रोजी-रोटी के लिए आंध्र प्रदेश पलायन करने वाली कमार जनजाति की महिला की मौत, प्रशासन में मचा हड़कंप
गरियाबंद। ईंट भट्टे में काम करने आंध्र प्रदेश गई आदिवासी विकासखण्ड मैनपुर क्षेत्र अन्तर्गत पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के गोद ग्राम कुल्हाड़ीघाट से विशेष पिछड़ी कमार जनजाति की महिला की मौत हो गई. इस खबर से स्थानीय अधिकारियों में हड़कंप मच गया है.
जानकारी के अनुसार, ग्राम पंचायत कुल्हाड़ीघाट से शांतिबाई (34 वर्ष) पति फरसराम (36 वर्ष) अपने सालभर के बच्चे को लेकर जुलाई माह में आंध्रप्रदेश पलायन कर गई थी. आंध्रप्रदेश ईट भट्टे में मजदूरी कर रही महिला की अचानक तबीयत खराब होने से तीन दिन पहले उसकी मौत हो गई. इस संबंध में जानकारी मिलने के बाद से परिवार में शोक व्याप्त है.
ग्राम पंचायत कुल्हाड़ीघाट के पूर्व सरपंच एवं कमार समाज के अध्यक्ष बनसिंह सोरी ने बताया कि फरसराम के साथ उसकी पत्नी शांतिबाई आंध्रप्रदेश के ईट भट्टा में काम कर रहे थे. तीन दिन पहले शांतिबाई की मौत होने की फोन के माध्यम से जानकारी मिली है. उनके दो बच्चे कुल्हाड़ीघाट में रहते हैं. इस संबंध से स्थानीय अधिकारियों को अवगत करा चुके हैं.
राज्य व केन्द्र सरकार द्वारा विशेष पिछड़ी जनजाति कमार, भुंजिया आदिवासियों के विकास के लिए अनेक योजनाएं संचालित करने का दावा किया जा रहा है. इसके विपरित कुल्हाड़ीघाट, कठवा, ताराझर, कुरवापानी, भालुडिग्गी, देवडोंगर, भाताडिग्गी, आमामौरा, फरसरा, ओढ़, लुठापारा, खोलापारा, छिन्दौला, सिहार, देवझर,अमली, इंदागांव, खरीपथरा, धोमबनमाल, गोबरा, बेहराडीह, कोदोमाली, गरीबा, कुचेंगा क्षेत्र के विभिन्न ग्रामों से बड़ी संख्या में कमार एवं आदिवासी पलायन कर रोजगार के तलाश में आंध्रप्रदेश ईट भट्टों तक पहुंच चुके हैं.
जानकार बताते हैं कि आंध्रप्रदेश ईट भट्टों के दलाल क्षेत्र में सक्रिय हैं. दलाल एकमुश्त 20 से 30 हजार रुपए ग्रामीणों को देकर अपने जाल में फंसाकर ईट भट्टों तक ले जाते है, और वहां उन्हें मनमाफिक काम करवाते हैं. पूर्व में छत्तीसगढ़ सरकार एवं जिला प्रशासन द्वारा इन बंधकों को छुड़वाकर लाया भी गया है.
ग्राम पंचायत कुल्हाड़ीघाट के सचिव प्रेमध्रुव ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि कमार जनजाति की महिला शांतिबाई अपनी पति के साथ कार्य करने आंध्रप्रदेश पलायन कर गई थी, जहां तबियत खराब होने से उसकी मौत हो गई. उनके तीन बच्चे हैं. सचिव ने बताया कि पंचायत क्षेत्र में रोजगार मूलक बहुत कार्य है, बावजूद इसके पलायन करना समझ से परे है.