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हरियाणा चुनाव में कंगना रनोट ने बढ़ाई BJP की टेंशन​​​​​​​:बोलीं-3 कृषि कानून दोबारा लागू हों; 378 दिन किसान आंदोलन के बाद वापस हुए थे

हरियाणा में विधानसभा चुनाव के बीच बॉलीवुड एक्ट्रेस व हिमाचल से सांसद कंगना रनोट में BJP की टेंशन बढ़ा दी है। उन्होंने 3 कृषि कानूनों को दोबारा लागू करने की मांग की है। कंगना ने कहा कि कानून वापस लाने चाहिए। ये कंट्रोवर्शियल हो सकता है। ये वही कानून हैं, जिन्हें केंद्र सरकार को 14 महीने के बाद किसान आंदोलन के चलते वापस लेना पड़ा था।

इस बयान के बाद विपक्ष ने उनकी घेराबंदी शुरू कर दी है। ​​​​​पंजाब से अकाली दल के प्रवक्ता अर्शदीप सिंह कलेर का कहना है कि भाजपा को कंगना को पार्टी से निकालना चाहिए। कंगना पर नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) लगाया जाना चाहिए।

वहीं भाजपा के सीनियर नेता हरजीत ग्रेवाल ने कहा कि कंगना पंजाब, किसान और सिखों के बारे में बोलना बंद कर दें। उन्होंने कहा कि इस मामले को वह हाईकमान के सामने रखेंगे।

हरियाणा कांग्रेस ने सोशल मीडिया (X) पर पोस्ट डालकर लिखा- कांग्रेस किसानों के साथ है। इन काले कानून की वापसी अब कभी नहीं होगी। चाहे नरेंद्र मोदी और उनके सांसद जितना जोर लगा लें।

कृषि कानूनों पर कंगना का बयान बीते कल (23 सितंबर) सामने आया था। वह मंडी जिले के ख्योड़ में जिला स्तरीय नलवाड़ मेले के समापन समारोह में पहुंची थीं। यहां उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में 3 कृषि कानूनों पर बयान दिया।

 

कंगना ने कहा कि किसानों के जो लॉ हैं, जो रोक दिए गए, वे वापस लाने चाहिए। ये कंट्रोवर्शियल हो सकता है। किसानों के हितकारी लॉ वापस आने चाहिए। किसानों को खुद इसकी डिमांड करनी चाहिए। हमारे किसान की समृद्धि में ब्रेक न लगे।

 ​​​​​​​ब्यूरोक्रेसी, हमारे लीडर, हर तीन-तीन महीनों में इलेक्शन करवाते हैं। वन नेशन, वन इलेक्शन देश के विकास में जरूरी हैं। ऐसे ही हमारे किसान पिलर ऑफ स्ट्रेंथ हैं। वे खुद अपील करें कि हमारे थ्री लॉ को लागू किया जाए। जो हमारे कुछ राज्यों ने थ्री लॉ को लेकर आपत्ति जताई थी, को हाथ जोड़ विनती करती हूं कि लॉ को वापस लाएं।

 

 पिछले महीने ही कंगना ने कहा था कि पंजाब में किसान आंदोलन के नाम पर उपद्रवी हिंसा फैला रहे थे। वहां रेप और हत्याएं हो रही थीं। अगर हमारा शीर्ष नेतृत्व मजबूत नहीं रहता तो किसान आंदोलन के दौरान पंजाब को भी बांग्लादेश बना दिया जाता। किसान बिल को वापस ले लिया गया वर्ना इन उपद्रवियों की बहुत लंबी प्लानिंग थी। वे देश में कुछ भी कर सकते थे।

विपक्ष व किसानों ने कंगना को घेरना शुरू किया था। इसके बाद भाजपा ने भी अपना पक्ष जारी कर कंगना के बयान से पल्ला झाड़ लिया था।

कंगना रनोट ने दैनिक भास्कर को दिए इंटरव्यू में किसानों पर विवादित बयान दिया।
कंगना रनोट नेको दिए इंटरव्यू में किसानों पर विवादित बयान दिया।

 किसान आंदोलन के बीच कंगना रनोट ने 27 नवंबर 2020 को रात 10 बजे फोटो को पोस्ट किया था, जिसमें लिखा था कि किसानों के प्रदर्शन में शामिल हुई महिला वही मशहूर बिलकिस दादी है, जो शाहीन बाग के प्रदर्शन में थी। जो 100 रुपए लेकर उपलब्ध है। हालांकि, बाद में कंगना ने पोस्ट डिलीट कर दिया था, लेकिन कई सोशल मीडिया यूजर्स ने इस पोस्ट को खूब शेयर किया था। इससे कंगना विवादों में घिर गई थी।

 

5 जून 2020 को केंद्र सरकार एक अध्यादेश के जरिए तीन कृषि बिल लेकर आई थी। सितंबर 2020 को केंद्र सरकार लोकसभा और राज्यसभा में फार्म बिल 2020 लेकर आई। दोनों सदनों से यह बिल पास पास हो गए, पर किसानों को यह बिल रास नहीं आए।

किसानों को डर सताने लगता है कि नए बिल से मंडियां खत्म हो जाएंगी। MSP सिस्टम खत्म हो जाएगा। बड़ी कंपनियां फसलों की कीमतें तय करने लगेंगी। वे इसके विरोध में उतर आए। पंजाब के किसान रेल की पटरियों पर बैठ गए, पर सरकार ने उन्हें वहां से हटा दिया।

दो महीने बाद यानी 25 नवंबर को पंजाब और हरियाणा के किसानों ने दिल्ली चलो आंदोलन का ऐलान किया। पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी UP सहित कई शहरों में किसानों का प्रदर्शन शुरू हो गया।

सरकार और किसानों के बीच 11 बार बातचीत हुई, पर कोई नतीजा नहीं निकला। इसके बाद भारतीय किसान यूनियन सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा। कोर्ट ने 18 महीने के लिए तीनों कृषि कानूनों पर रोक लगा दी। साथ ही इन कानूनों को रिव्यू करने के लिए एक कमेटी बनाई, पर किसान नहीं माने। उनका कहना था- ‘जब तक तीनों कानून वापस नहीं लिए जाते, हम आंदोलन जारी रखेंगे।’

इस बीच किसानों ने पक्के घर करना शुरू कर दिए। टीकरी और सिंघु बॉर्डर पर कच्चे-पक्के घर बनना शुरू हो गए। कई जगहों पर किसानों ने CCTV कैमरे भी लगवाए, ताकि पुलिस की एक्टिविटीज को देख सकें।

 

3 कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का 378 दिन तक आंदोलन चला था।- प्रतीकात्मक तस्वीर
3 कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का 378 दिन तक आंदोलन चला था।- प्रतीकात्मक तस्वीर

 किसान आंदोलन के दौरान अप्रैल-मई 2021 में पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव हुए। असम में BJP सरकार बनाने में कामयाब रही, लेकिन उसे 11 सीटों का नुकसान हुआ। पुडुचेरी में वह गठबंधन की सरकार बनाने में कामयाब रही। जबकि केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में BJP को हार का सामना करना पड़ा। इन चुनावों में विपक्ष ने प्रधानमंत्री और BJP को खूब घेरा था। किसान नेता राकेश टिकैत ने पश्चिम बंगाल में BJP के खिलाफ प्रचार किया था।

इसके बाद BJP की इंटरनल रिपोर्ट, सेना में नाराजगी, उप चुनावों में मिली हार और पांच राज्यों में होने वाले चुनावों को देखते हुए PM मोदी ने 19 नवंबर 2021 को तीनों कृषि कानून वापस ले लिए।

आखिरकार 14 महीने की तकरार के बाद 29 नवंबर को लोकसभा और राज्यसभा दोनों ही सदनों से बिना किसी चर्चा के ध्वनिमत से कृषि कानून वापस ले लिया गया। 11 दिसंबर को किसानों ने आंदोलन खत्म करने का ऐलान किया और दिल्ली बॉर्डर पर विजय दिवस मनाया।

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