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छत्तीसगढ़ी भाषा में होगी पहली से 5वीं तक पढ़ाई:साहित्यकारों-लोक कथाकारों की मदद से बनेगा सिलेबस; सरगुजिहा, हल्बी, सादरी, गोंडी और कुंडख में भी कोर्स

छत्तीसगढ़ में जल्द ही छत्तीसगढ़ी भाषा में पहली से पांचवीं कक्षा तक पढ़ाई शुरू होने जा रही है। राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद इसका सिलेबस तैयार कर रहा है। वहीं, सरकार के आदेश को लेकर मोर चिन्हारी छत्तीसगढ़ी मंच के प्रांतीय संयोजक नंद किशोर शुक्ल ने कहा कि आदेश स्पष्ट नहीं है, शिक्षा विभाग स्पष्ट आदेश जारी करे।

छत्तीसगढ़ी में कोर्स को लेकर साहित्यकारों, लोक कथाकारों, लोक गीतकारों, शिल्पकारों, लोक संगीतकारों, लोक नर्तकों, कथा, कहानी, गीत, नाटकों के प्रस्तुतकर्ता और संकलनकर्ता से मदद ली जाएगी। साथ ही ऐसे वरिष्ठ नागरिक और शिक्षक जिन्हें छत्तीसगढ़ी लोक संस्कृति में रूचि हो, उनका सहयोग भी लेंगे।

छत्तीसगढ़ में कक्षा पहली से पांचवी तक छत्तीसगढ़ी भाषा में होगी पढ़ाई।
छत्तीसगढ़ में कक्षा पहली से पांचवी तक छत्तीसगढ़ी भाषा में होगी पढ़ाई।

विकासखंडवार तैयार होगी साहित्यकारों सूची

छत्तीसगढ़ी साहित्य का संकलन कर चयनित सामग्री का इस्तेमाल प्राइमरी के बच्चों को पढ़ाने में किया जाएगा। इस काम के लिए विकासखंडवार साहित्यकारों , लोक कथाकारों और कलाकारों की सूची बनाई जाएगी। छत्तीसगढ़ी, सरगुजिहा, हल्बी, सादरी, गोंडी और कुंडख में कोर्स बनेगा।

छत्तीसगढ़ी, सरगुजिहा, हल्बी, सादरी, गोंडी और कुंडख में कोर्स

छत्तीसगढ़ी, सरगुजिहा, हल्बी, सादरी, गोंडी और कुंडख में कोर्स बनेगा। डाइट की ओर से जारी सर्कुलर में शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का संदर्भ देते हुए कहा गया है कि बहु भाषावाद और भाषा की शक्ति के अनुसार पहली से पांचवीं कक्षा तक विद्यार्थियों के लिए उनकी घर की भाषा, मातृभाषा, स्थानीय भाषा, क्षेत्रीय भाषा का माध्यम होना चाहिए।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति की मूल अनुशंसाओं को ध्यान में रखकर भविष्य की तैयारी के मकसद से प्रदेश में प्रथम चरण में 6 स्थानीय भाषाओं में पाठ्य पुस्तकें डाइट के मार्गदर्शन में तैयार की जाएंगी। डाइट रायपुर को नोडल डाइट और दुर्ग को सहयोगी डाइट की भूमिका निभानी होगी।

राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद का दफ्तर।
राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद का दफ्तर।

मोर चिन्हारी छत्तीसगढ़ी मंच बोला- आदेश स्पष्ट नहीं

मोर चिन्हारी छत्तीसगढ़ी मंच के प्रांतीय संयोजक नंद किशोर शुक्ल ने कहा कि SCERT, DEO और डाइट के पत्र से यह स्पष्ट नहीं हो रहा है कि प्राइमरी तक सभी विषयों की पढ़ाई छत्तीसगढ़ी में होगी या केवल एक विषय पढ़ाया जाएगा।

महतारी भाषा छत्तीसगढ़ी तभी माध्यम मानी जाएगी, जब भाषा-विषय समेत पांचवीं तक गणित, पर्यावरण समेत सभी विषयों की पढ़ाई-लिखाई छत्तीसगढ़ी में होगी। इसलिए सभी विषयों के कोर्स छत्तीसगढ़ी में तैयार कराए जाएं। शिक्षा विभाग इसका स्पष्ट आदेश जारी करे।

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