
हाथरस के फुलरई गांव में मंगलवार सुबह 11 से 1 बजे तक भोले बाबा ने पहले सत्संग सुनाया, फिर उनके चरणों की धूल लेने के लिए होड़ मच गई। भगदड़ मची, तो एक दूसरे को रौंदने लगे। इसमें 122 लोगों की मौत हो गई और 150 से ज्यादा घायल हो गए। कुछ लोगों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया, तो कुछ सिर्फ नाम के लिए अस्पताल पहुंच पाए।
जो अस्पताल पहुंचे, उनका दर्द तो और भी खतरनाक है। 150 लोगों का इलाज करने के लिए सिर्फ एक डॉक्टर था। लोग तड़प रहे थे, लेकिन उनका हाल लेने वाला कोई नहीं था।
अपनों की जान बचाने के लिए अस्पताल पहुंचे लोग कहते हैं- 2 घंटे हो गए, जो जिंदा हैं वो भी मार दिए गए। अस्पताल में कोई व्यवस्था नहीं। यहां न ऑक्सीजन सिलेंडर था और न ही ड्रिप लगाने वाले। हम लोग खींच-खींचकर लोगों को ले आए, उनकी सांसें चल रही थीं। हम लोग डॉक्टर का इंतजार करते रहे, लेकिन एक डॉक्टर होने की वजह से इलाज ही नहीं मिल पाया। अस्पताल के बाहर और बरामदे में घायलों की सांसें टूट गईं।

जब नहीं मिले डॉक्टर, तो लोग खुद ही देने लगे CPR
अस्पताल के सभी स्ट्रेचर, यहां तक कि बेंच पर भी घायलों को लिटा दिया गया। जब जगह नहीं बची, तो अस्पताल के बरामदे में जमीन पर भी घायलों और मृतकों को लिटा दिया गया। इसके सामने आए वीडियो में दिख रहा है कि लोग खुद ही अपनों को CPR देने में जुटे रहे। कुछ लोग बदहवास होकर दौड़ रहे थे, लेकिन उनकी मदद करने वाला कोई नहीं था।
रेफर तक नहीं कर पाए
एक छोटे से स्वास्थ्य केंद्र (CHC) पर इतने संसाधन ही नहीं थे कि सबका इलाज किया जा सके। घायलों को हायर सेंटर रेफर करने की स्थिति नहीं थी। सिर्फ एक एम्बुलेंस थी। मौके पर आए लोगों ने बताया कि यहां पर इतने घायल आ गए कि अस्पताल में जगह ही नहीं बची।
घायलों को रास्ते से ही एटा जिला अस्पताल भेजा जाने लगा। घायलों को लेकर पहुंचे सत्संग के एक सुरक्षाकर्मी ने कहा- हम लोग खींच-खींचकर घायलों को अस्पताल लेकर आए। सांसें चल रही थीं, लेकिन अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडर तक नहीं था।
बेटा बोला- भगदड़ के बाद पहुंचा तो देखा, मेरी मम्मी की सांसें थम गई थीं
बदायूं के बिल्सी में रहने वाले वीरेश अपनी भाभी और मम्मी के साथ सत्संग सुनने आए थे। वीरेश कहते हैं- सत्संग खत्म होते ही अचानक भगदड़ मच गई। जब तक मैं मम्मी को लेकर निकल पाता, लोग उन्हें कुचलते हुए निकल गए। मैं भी गिरा, लेकिन किसी तरह उठकर बाहर भागा, तब जाकर जान बच सकी। भगदड़ के बाद पहुंचा तो देखा, मम्मी की सांसें थम गई थीं।
भाभी घायल हैं। उनका इलाज चल रहा है। मेरी आंखों के सामने लोगों ने मेरी मां को कुचल डाला। मैं चीखता-चिल्लाता रहा, लेकिन उस भगदड़ में कोई किसी की सुन नहीं रहा था। हर कोई खुद की और अपनों की जान बचाने की मशक्कत में लगा रहा।
महिला बोली- मेरी बेटी को सैकड़ों लोग रौंदते निकल गए
सिकंदराराऊ CHC के बाहर एक महिला अपनी बेटी की लाश से लिपटकर रो रही थी। वह रोते हुए कहती है- मेरी बेटी रोशनी की जान चली गई। बड़ी देर बाद उसे भीड़ में ढूंढ पाए। जब उठाया तो सांसें चल रही थीं। अस्पताल लेकर आए तो उसने दम तोड़ दिया। मेरी बेटी को सैकड़ों लोग रौंदते हुए निकल गए। हम परिवार के साथ सत्संग में आए थे।