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23 साल से अलग पति-पत्नी के मामले में हाईकोर्ट की टिप्पणी, बताया क्रूरता

यूपी UP। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अपने जीवन साथी को बिना किसी उचित कारण के छोड़ देना और लंबे समय तक साथ में नहीं रहना क्रूरता है। हिंदू विवाह अधिनियम में विवाह एक संस्कार है, ना कि सामाजिक अनुबंध। ऐसे में जीवनसाथी को बिना किसी उचित कारण के छोड़ना संस्कार की आत्मा और भावना को खत्म करना है। यह जीवनसाथी के प्रति क्रूरता है। allahabad high court allahabad न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति डी रमेश की पीठ ने 23 साल से अपने पति से अलग रह रही अभिलाषा की अपील पर सुनवाई करते हुए तलाक को बरकरार रखा। साथ ही गुजारा भत्ता के लिए पांच लाख देने का आदेश दिया। झांसी निवासी अभिलाषा श्रोती की शादी राजेंद्र प्रसाद श्रोती के साथ 1989 में हुई। 1991 में उन्हें एक बच्चा हुआ। पति-पत्नी शादी के कुछ साल बाद अलग हो गए। हालांकि, कुछ समय के लिए फिर से साथ रहने लगे। अंतत 2001 में वे फिर से अलग हो गए और तब से अलग-अलग रह रहे हैं

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