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दावा-4 रातों से सोया नहीं था मालगाड़ी का लोको पायलट

नियम लगातार सिर्फ 2 रात ड्यूटी का; रंगापानी के स्टेशन मास्टर की जांच की मांग

कंचनजंगा ट्रेन दुर्घटना के बाद से रेलवे बोर्ड मालगाड़ी के लोको पायलट पर हादसे का दोष मढ़ रहा है। बोर्ड का कहना है कि लोको पायलट ने रंगापानी स्टेशन से टीए 912 अथॉरिटी पास लेने के बाद मालगाड़ी को खराब सिग्नलों के बीच तय लिमिट से ज्यादा गति से निकाला, इसलिए हादसा हुआ।

इस पर ऑल इंडिया रनिंग लोको स्टाफ एसोसिएशन के उपाध्यक्ष एसएस ठाकुर ने दैनिक भास्कर को बताया कि सिग्नल फेल होने पर जिस वैकल्पिक फार्म टीए 912 के जरिए ट्रेनें चलाई जाती हैं, उससे जुड़ा नियम ये भी है कि जब तक आगे वाली ट्रेन अगला स्टेशन पार न कर ले, तब तक दूसरी ट्रेन को पिछले स्टेशन से आगे नहीं बढ़ाते हैं।

रंगापानी स्टेशन पर यही गलती हुई। यहां के स्टेशन मास्टर ने कंचनजंगा के आगे बढ़ने के 15 मिनट बाद ही मालगाड़ी को टीए 912 पेपर दे दिया था। जबकि उस वक्त कंचनजंगा एक्सप्रेस कुछ किमी आगे ट्रैक पर खड़ी थी। स्टेशन मास्टर की इस गलती की भी जांच होनी चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि जिस लोको पायलट पर हादसे का दोष मढ़ा जा रहा है, वो लगातार 4 रातों से सोया नहीं था। जबकि नियम अधिकतम लगातार 2 रात ड्यूटी का है। सिग्नल खराब होने की स्थिति में लोको पायलट्स को गाड़ी कैसे चलानी है, इसकी पर्याप्त ट्रेनिंग नॉर्थ-ईस्ट जोन के लोको स्टाफ को आज तक नहीं दी गई है।

मालागाड़ी की रफ्तार 78 किमी प्रति घंटा थी
ठाकुर ने आगे कहा कि लोको पायलटों को दोषी बताने की परंपरा पुरानी है। ओडिशा में हुए कोरोमंडल रेल हादसे के बाद कहा गया कि लोको पायलट और को-पायलट मोबाइल पर क्रिकेट देख रहे थे, इसी वजह से वो सिग्नल नहीं देख पाए। जबकि, कमिश्नर सेफ्टी की जांच में पता चला कि हादसे के दो घंटे पहले से दोनों के फोन स्विच ऑफ थे।

पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के मुख्य सुरक्षा आयुक्त जनक कुमार गर्ग ने दावा किया कि स्पीडोमीटर की शुरुआती जांच में पता चला है कि हादसे के वक्त मालगाड़ी की रफ्तार 78 किमी प्रति घंटा थी। वहीं, इस घटना में घायल हुई 6 साल की स्नेहा की 18 जून को मौत हो गई। इससे मृतक संख्या 10 हो गई है।

हादसे के कारण का पता लगाने के लिए जांच
कंचनजंगा ट्रेन हादसे को लेकर एक महिला पैसेंजर ने मालगाड़ी के दोनों ड्राइवरों (लोको और को-लोको पायलट) के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। शिकायतकर्ता का नाम चिन्मय मजूमदार है। वे कंचनजंगा एक्सप्रेस में बैठी थीं। हादसे में चिन्मय को भी चोटें आई हैं।

चिन्मय ने अपनी शिकायत में लिखा- जब मैं ट्रेन से नीचे उतरी तो देखा कि मालगाड़ी ने कंचनजंगा एक्सप्रेस को पीछे से टक्कर मारी। मालगाड़ी का इंजन बुरी तरह डैमेज हो गया था। हादसा मालगाड़ी के लोको और को-लोको पायलट की लापरवाही से हुआ।

उधर, नॉर्थ-ईस्ट फ्रंटियर रेलवे हादसे के कारणों का पता लगाने के लिए बुधवार (19 जून) को इन्क्वायरी करेगा। ये जांच चीफ कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी जनक गर्ग ADRM चेंबर में करेंगे। इसके लिए हादसे से जुड़े सबूतों को जांच अधिकारी के पास भेजने को कहा गया है। साथ ही कुछ लोगों को बुलाया भी गया है।

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