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ED और CBI के नाम पर करोड़ों की ठगी करने वाला मामला दर्ज

नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रवर्तन एजेंसियों के नाम पर लोगों को धमकी, ब्लैकमेल, जबरन वसूली और ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसी वारदातों को अंजाम देने वाले साइबर अपराधियों की जालसाजी से सावधान रहने की सलाह दी है। साथ ही इनके बारे में जागरूकता फैलाने तथा इसकी शिकायत तत्काल साइबर अपराधी हेल्पलान पर करने की भी सलाह दी है। गृह मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि साइबर अपराधी खुद को पुलिस, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), भारतीय रिजर्व बैंक जैसी केंद्रीय एजेंसियों का अधिकारी बताकर जालसाजी कर रहे हैं। ये साइबर अपराधी एक संगठित ऑनलाइन आर्थिक अपराध का हिस्सा हैं जिसे सीमा पार स्थित सिंडिकेट द्वारा ऑपरेट किया जाता है।

इसमें कहा गया है कि माइक्रोसॉफ्ट के सहयोग से I4C (भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र) ने पहले ही ऐसी गतिविधियों में शामिल 1,000 से अधिक स्काइप आईडी को ब्लॉक कर दिया है। इसके अलावा, धोखेबाजों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सिम कार्ड, मोबाइल डिवाइस और धोखाधड़ी वाले खातों को भी ब्लॉक किया जा रहा है। गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, “I4C ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘साइबरदोस्त’ (एक्स, फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि) पर इन्फोग्राफिक्स और वीडियो के माध्यम से विभिन्न अलर्ट भी जारी किए हैं।”

मंत्रालय ने बताया कि ये धोखेबाज आमतौर पर संभावित पीड़ित को कॉल करते हैं और कहते हैं कि पीड़ित ने कोई पार्सल भेजा है या प्राप्त किया है जिसमें अवैध सामान, ड्रग्स, नकली पासपोर्ट या कोई अन्य प्रतिबंधित वस्तु है। कभी-कभी, वे यह भी सूचित करते हैं कि पीड़ित का कोई करीबी या प्रिय व्यक्ति किसी अपराध या दुर्घटना में शामिल पाया गया है और उनकी हिरासत में है। ऐसे कथित ‘केस’ में समझौता करने के लिए पैसे की मांग की जाती है। कुछ मामलों में, पीड़ितों को ‘डिजिटल अरेस्ट’ का सामना करना पड़ता है और उनकी मांग पूरी न होने तक पीड़ित को स्काइप या अन्य वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म पर धोखेबाजों के लिए उपलब्ध रहने पर मजबूर किया जाता है। ये जालसाज पुलिस स्टेशनों और सरकारी कार्यालयों की तर्ज पर बनाए गए स्टूडियो का इस्तेमाल करने में माहिर होते हैं और असली दिखने के लिए वर्दी पहनते हैं।

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