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लोकसभा नतीजे के बाद CG कांग्रेस में होंगे बदलाव:12 से ज्यादा जिला अध्यक्षों पर गिर सकती है गाज, दीपक बैज बोले- हम बदलाव करेंगे

4 जून को लोकसभा चुनाव के नतीजे आएंगे। चर्चा है कि नतीजों के बाद ही जल्द ही छत्तीसगढ़ कांग्रेस में कई बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। 12 से अधिक जिला अध्यक्ष समेत कई बड़े पदाधिकारी बदले जा सकते हैं। साथ ही कांग्रेस छोड़ चुके नेताओं के पदों पर भी नियुक्तियां होनी है।

बदलाव की चर्चाओं को लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि, अभी हम बदलाव करेंगे, जहां जरूरत होगी, वहां नियुक्तियां की जाएंगी।

कांग्रेस पार्टी।
कांग्रेस पार्टी।

विधानसभा के बाद से बदलाव की चर्चा

विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद से ही चर्चा हो रही थी कि, जल्द ही पार्टी बड़े बदलाव के साथ नियुक्तियां करेगी, लेकिन लोकसभा की तैयारियों के कारण उस वक्त पार्टी में बदलाव नहीं हो पाया था।

लोकसभा में परफॉर्मेंस भी रहेगा पैमाना

पार्टी के पदों से हटाए जाने वाले पदाधिकारी और नई नियुक्तियों के लिए नेताओं के लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनाव के परफॉर्मेंस को पैमाना माना जाएगा। इस दौरान भीतरघात करने वाले और निष्क्रिय रहने वाले पदाधिकारियों के पदों पर नई नियुक्तियां होंगी।

कांग्रेस प्रदेश कार्यालय राजीव भवन।
कांग्रेस प्रदेश कार्यालय राजीव भवन।

पीसीसी स्तर पर तैयार नहीं हो पाया प्रस्ताव

दरअसल, नई नियुक्तियों के लिए पीसीसी लेवल पर प्रस्ताव तैयार किया जाता है, लेकिन लोकसभा चुनाव टिकट वितरण और उसके बाद चुनावी तैयारियों की व्यस्तता के चलते बड़े नेताओं के साथ संगठन बदलाव को लेकर औपचारिक चर्चा नहीं हो पाई है।

दीपक बैज भी तैयार करना चाहते थे नई टीम

संगठन में बदलाव और नई टीम को लेकर दीपक बैज ने कई बार खुलकर बात की। कुछ महीने पहले उन्होंने कहा था कि लोकसभा चुनाव में नई ऊर्जा और नई टीम के साथ जाएंगे।

इन जिलों में बदलाव की चर्चा

रायपुर शहर-ग्रामीण, दुर्ग, कवर्धा, बलौदाबाजार, महासमुंद, बलरामपुर, कोरिया, सरगुजा, रामानुजगंज, बैकुंठपुर, कोरबा, सक्ती, राजनांदगांव ग्रामीण और बिलासपुर सहित ज्यादातर जिलों के अध्यक्ष बदल सकते हैं। इन जिलों में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है।

जिला अध्यक्षों की भूमिका पर उठे सवाल

बता दें कि, विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद से पार्टी इस बात की समीक्षा कर रही है कि किन जिलों में पार्टी को भारी नुकसान पहुंचा है। वहां पर जिला अध्यक्षों की भूमिका को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। यहां पर संगठन के स्थानीय विधायकों से समन्वय और अन्य मामलों की समीक्षा की जा रही है।

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