ख़बर

समान कार्य का समान वेतन पाना श्रमिक का अधिकार: जिला न्यायाधीश कोरबा

कोरबा 02 मई 2024/ अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस के अवसर पर डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ताप विद्युत कंपनी कोरबा में श्रमिकों के कल्याणकारी योजनाओं के जानकारी दिये जाने के प्रयोजनार्थ विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। उक्त अवसर पर मुख्य अतिथि श्री सत्येन्द्र कुमार साहू, जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा के द्वारा अपने उद्बोधन में कहा गया कि जो भी व्यक्ति संस्थान, विभाग एवं अन्य जगह कार्य करते है, सभी श्रमिक है, कोई शारीरिक मेहनत करता है तो कोई बौद्धिक (दिमागी) मेहनत करता है, इसलिये हम भी अलग नहीं हैं। उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय को सभी व्यक्तियांें के अधिकारों की चिन्ता रहती है, किसी भी व्यक्ति के अधिकार का हनन न हो, उसके लिये प्रत्येक विशेष दिवस पर उन्हें कानूनी रूप से जागरूक करने के लिये विधिक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जाता रहता है। यहॉं आने का मुख्य उद्देश्य यदि है कि हम श्रमिकों को उनके अधिकार के संबंध में बता सकें । कानून के समक्ष पुरूष महिला को समान कार्य के लिये समान वेतन का अधिकार दिया गया है। साथ ही बाल मजदूरी/निषेध अधिनियम 1986 के अनुसार 14 वर्ष से कम उम्र के किसी बच्चे को किसी कारखाने, दुकानों इत्यादि जगहों पर काम में नहीं लगाने अथवा अन्य किसी जोखिमपूर्ण रोजगार में नियुक्त करने का प्रावधान के बारे में बताया गया।
श्रीमती गरिमा शर्मा के द्वारा अपने उद्बोधन में कहा गया कि वे अपर जिला एवं सत्र न्यायालय के साथ – साथ श्रम न्यायालय के भी कार्य देखती है, इसलिये श्रमिकों से उनका दिल से जुड़ाव है, उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के लिये नियुक्त किया गया है। संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में पहले 18 वें शताब्दी में श्रमिकों को 16 से 18 घंटे कार्य करवाया जाता था। कभी-कभी उन्हें किसी दिन का मजदूरी भी नहीं दिया जाता था, श्रमिकों के द्वारा एक फोल्टू यूनियन बनाया गया उनके प्रयास से आगे जाकर 8 घंटे का काम करना निर्धारित किया गया तथा अतिरिक्त कार्य का अतिरिक्त भुगतान करने का प्रावधान शुरू करवाया गया। कंपनी की जिम्मेदारी होती है कि कार्य करने वाले श्रमिक को मौलिक मूलभूत सुविधाएं जैसे साफ-सफाई, स्वास्थ्य एवं सुरक्षा की सुविधा उपलब्ध कराया जावें। कार्य के दौरान यदि किसी भी प्रकार की जनहानि/क्षति होती है या सुरक्षा उपकरण ना दिया जाकर कार्य करवाने के दौरान क्षति होती है तो श्रमिक को मुआवजा देना संबंधित कंपनी की जिम्मेदारी है। एैसे घटना घटित होने पर सबसे पहले कंपनी के मालिक या अधिकारी को लिखित में सूचना दिया जायें, उनके द्वारा अभ्यावेदन निरस्त होने पर न्यायालय की शरण में आ सकते है।
कु0 डिम्पल सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा के द्वारा कानूनी जानकारी देते हुये कहा गया कि देश की प्रगति में श्रमिकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। सभी कानूनों की उत्पत्ति भारतीय संविधान से होती है श्रमिक के अधिकारों के बारे में संविधान में उल्लेखित किया गया है। उक्त अवसर श्री हेमन्त कुमार सचदेव, कार्यपालक निर्देशक, डी.सी.पी.एम. कोरबा संजीव कंशल, अति. सी.ई. ओ एण्ड एम. राजेश्वरी रावत, अति. सी.ई. सरोज राठौर, प्रातीय संगठन सचिव फेडरेशन, कोरबा, श्री घनश्याम साहू, जोनल सचिव, फेडरेशन कोरबा, अहमद खान एवं उपेन्द्र राठौर पी.एल.व्ही. उपस्थित थे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button