छत्तीसगढ़

धरना स्थल है या काला पानी, जान जोखिम में डाल कर प्रदर्शन करने पर मजबूर है प्रदर्शनकारी

रायपुर। तूता धरना स्थल में अनिश्चितकालीन हड़ताल में बैठे कर्मचारियों ने धरना स्थल को काला पानी बताते हुए कहा कि यहां कोई व्यवस्था नहीं है, जो व्यवस्था की गई थी वो ध्वस्त हो चुकी है. सिर्फ और सिर्फ प्रताड़ित हो रहे हैं. तूता धरना स्थल पर प्रदेश भर के पटवारी, क्रेड़ा के कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल कर रहे हैं. वहीं धरना स्थल पर एकलव्य स्कूल के अतिथि शिक्षकों का भी प्रदर्शन जारी है.

घोर अंधकार में प्रदर्शन

कर्मचारी तूता धरना स्थल में चौबीस घंटे प्रदर्शन करते हैं, ऐसे में रात के समय घोर अंधकार का सामना करना पड़ता है. मोबाइल टॉर्च के सहारे रात बिताने को मजबूर हैं. दिखाने को बड़ा लाइट का खंबा खड़ा किया गया है, जिसमें चार पांच एलईडी भी लगे हैं लेकिन सब बंद है. मोबाइल को चार्ज करने के लिए कर्मचारी खुद ही धार्मिक स्थल में वैकल्पिक व्यवस्था किए हैं.

जिंदा पर मृत बोर

धरना स्थल में पानी सप्लाई के लिए बोर कराया गया है लेकिन वर्तमान समय में वहां लगे बोर ने चोरों ने हाथ साफ कर दिया है. कर्मचारियों ने बताया पीने के लिए पानी नहीं होता, तालाबों का पानी पी रहे हैं. पानी के लिए सुबह फोन करते हैं तो दोपहर तक एक टैंकर आता है, जो एक दो घंटे में खत्म हो जाता है. क्योंकि धरना स्थल में हजारों कर्मचारी धरने पर बैठे हैं.

उल्टी दस्त और डायरिया का शिकार

प्रदर्शन में बैठे कर्मचारी एक एक करके हॉस्पिटल पहुंच रहे हैं. कर्मचारियों ने बताया कि आधा दर्जन से ज्यादा लोगों को डायरियां हो चुका है. कुछ लोग इलाज करा के फिर धरना स्थल में प्रदर्शन कर रहे हैं. दर्जन भर लोग उल्टी दस्त के शिकार हैं.

दोहरी लड़ाई

प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों ने लल्लूराम डॉट कॉम से अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि एक ओर अपनी मांग को लेकर सरकार से लड़ रहे हैं तो दूसरी ओर रात में सांप और बिच्छू का डर बना रहता है. कई दिन सांप निकल आता है तो कई दिन की बिच्छू. हमारे एक साथी को बिच्छू ने काट लिया है, जिनका इलाज जारी है.

जीना है तो जागते रहो

कर्मचारियों ने बताया खतरा इतना है कि रात में जमीन में सोना पड़ता है. ऐसे में कब सांप आ जाए पता नहीं चलता था इसलिए कुछ घंटों के हिसाब से साथी जगराता करके देख रेख करते हैं.

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