झारखंड शराब घोटाला…छत्तीसगढ़ के सिंडिकेट ने रची साजिश:अपने लोगों को टेंडर दिलाने बनाई शर्तें; विधानसभा में रिजॉल्यूशन पास कराया गया
छत्तीसगढ़ में जिस पैटर्न पर आबकारी विभाग में बड़ा घोटाला हुआ उसी तर्ज पर झारखंड में शराब घोटाला हुआ है। इस बात का खुलासा छत्तीसगढ़ ACB- EOW की ओर से 7 सितंबर को दर्ज की गई FIR से हुआ है।
छत्तीसगढ़ में दर्ज इस FIR में झारखंड के CM हेमंत सोरेन के सचिव रहे चुके IAS विनय कुमार चौबे और पूर्व संयुक्त आयुक्त आबकारी गजेंद्र सिंह का नाम भी शामिल है। दोनों अफसरों पर रायपुर EOW ने धोखाधड़ी और आपराधिक षड्यंत्र रचने की धाराओं में नया केस दर्ज किया है। वहीं छत्तीसगढ़ के लीकर सिंडिकेट से जुड़े सभी लोगों के नाम भी सामने आए हैं।
आर्थिक अपराध अन्वेषण और एंटी करप्शन ब्यूरो की ओर से यह FIR दर्ज की गई है। इसमें बताया गया है कि तत्कालीन IAS अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर, अरूणपति त्रिपाठी और उनके सिंडिकेट झारखंड के अधिकारियों के साथ मिले। सभी ने मिलकर साजिश के तहत झारखंड की आबकारी नीति में फेरबदल किया। इसके बाद राज्य में देशी और विदेशी शराब का टेंडर भी सिंडिकेट के लोगों को दिलवाया।
झारखंड में बिना हिसाब की डूप्लीकेट होलोग्राम लगी देशी शराब की बिक्री की गई। साथ ही विदेशी शराब की सप्लाई का काम एफ.एल.10 ए लाइसेंस के रूप में नियम बनाकर अपने करीबी एजेंसियों को दिलाया। इसके बाद उन कंपनियों से करोड़ों रुपए का अवैध कमीशन लिया। इससे करोड़ों रुपयों की अवैध कमाई की गई।
प्रदेश में योजना को लागू कराने के लिए प्लानिंग के तहत अनवर ढेबर, एपी त्रिपाठी और झारखंड के आबकारी सचिव विनय कुमार चौबे और संयुक्त आबकारी आयुक्त गजेंद्र सिंह ने उनके सीनियर लोगों को विश्वास में लिया। इसके बाद झारखंड राज्य में नई आबकारी नीति लागू करने की तैयारी की।
इसके लिए झारखंड विधानसभा में RESOLUTION भी पारित कराया गया। छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कार्पोरेशन लिमिटेड के एम.डी. अरूणपति त्रिपाठी को कंसल्टेंट के रूप में रखा गया। प्लानिंग के मुताबिक अरूण पति त्रिपाठी ने छत्तीसगढ़ में लागू नीति का मॉडल तैयार कर झारखंड शासन को दिया।
इसके आधार पर झारखंड में नई आबकारी नियमावली, झारखंड उत्पाद (झारखंड राज्य बेवरेजेस कार्पोरेशन लिमिटेड के माध्यम से खुदरा उत्पाद दुकानों का संचालन) नियमावली 2022 को लागू किया गया। इसके लिए अरूणपति त्रिपाठी ने झारखंड सरकार से 1.25 करोड़ फीस के तौर पर भी लिए।
इस तरह छत्तीसगढ़ के मैन पावर सप्लाई कंपनी सुमित फैसिलिटी, इगल हंटर सालुसंस, ए-टू-जेड इंफ्रा सर्विसेस को टेंडर की शर्ते को उनके अनुसार बनाकर झारखंड में काम दिया गया।
इसके बाद इन सभी कंपनियों के मालिकों की ओर से सिद्धार्थ सिंघानिया को अपनी ओर से मैन पावर सप्लाई का काम दिया गया। इसने रांची में ऑफिस खोलकर सभी कंपनियों की ओर से अकेले मैन पावर सप्लाई का काम किया।
सिद्धार्थ सिंघानिया ने झारखंड के मदिरा दुकानों में तय मात्रा में कर्मचारियों की सप्लाई न कर लोकल ठेकेदारों के अंदर काम करने वाले पुराने लोगों को ही काम पर लगाया। इसके एवज में अवैध राशि वसूल की गई। इससे दुकानों में मैन पॉवर की भारी कमी हुई।
छत्तीसगढ़ में विदेशी मदिरा सप्लाई का काम ओम साईं बेवरेजस, दिशिता वेंचर्स और नेक्सजेन कॉर्पोरेशन के जरिए हो रहा था। सिंडिकेट ने एफ.एल. 10 ए लाईसेंस के तर्ज पर झारखंड में 1 ए लाईसेंस शुरू कराया।
इसके तहत देशी-विदेशी दोनों की ही सप्लाई का काम टेंडर की शर्तों को फेरबदल करते हुए ओम साईं बेवरेजस और दिशिता वेंचर्स को मिला।
सिंडिकेट ने होलोग्राम सप्लाई का काम भी छत्तीसगढ़ में होलोग्राम सप्लाई करने वाली कंपनी मेसर्स प्रीज्म होलोग्राफी एण्ड सिक्योरिटी फिल्म प्राइवेट लिमिटेड नोएडा के विधु गुप्ता को दिलाया। विधु गुप्ता ने भी खुद होलोग्राम सप्लाई न कर ऑक्युलर होलोग्राफी फिल्मस प्राइवेट लिमिटेड को काम दे दिया।
1 मई 2022 से इनका अवैध शराब कारोबार पूरे झारखंडमें शुरू हो गया था। इस तरह छत्तीसगढ़ के सिंडिकेट ने कारोबार को सरकारी नियम के अधीन लाकर करोड़ों रुपए अंदर किए। छत्तीसगढ़ के साथ-साथ झारखंड शासन के साथ भी धोखाधड़ी कर खुद को फायदा पहुंचाते रहे।
छत्तीसगढ़ के सिंडिकेट ने झारखंड में भी अवैध शराब कारोबार करने के इरादे से जनवरी 2022 में झारखंड के अधिकारियों के साथ मीटिंग की। यह मीटिंग रायपुर में की गई जिसमें पूरी प्लानिंग बनी।
सप्लाई चेन ठेकेदारी प्रथा की जगह सी.एस.एम.सी.एल. के जरिए बताया गया। इससे होने वाले फायदे और अवैध आय की जानकारी दी गई। झारखंड के अधिकारियों को मुनाफा दिखाकर छत्तीसगढ़ की व्यवस्था वहां भी लागू करने के लिए राजी किया गया।
FIR में शिकायतकर्ता विकास सिंह ने बताया कि झारखंड में नई शराब नीति लागू होने के बाद साल 2022-23 में झारखंड के आबकारी राजस्व लक्ष्य में करोड़ों रुपयों की कमी आई। शिकायतकर्ता ने इसकी जांच किए जाने की मांग की।
अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर, अरूणपति त्रिपाठी, सिद्धार्थ सिंघानिया, विधु गुप्ता और उनके सिंडिकेट के बाकी साथी पर कार्रवाई की मांग की गई। इसके अलावा झारखंड के आबकारी सचिव विनय कुमार चौबे, आबकारी संयुक्त आयुक्त गजेन्द्र सिंह और उनके साथी के खिलाफ भी भ्रष्टाचार कर राज्य को नुकसान पहुंचाने पर कार्रवाई की मांग की गई।
रांची के रहने वाले विकास सिंह की शिकायत पर छत्तीसगढ़ में FIR दर्ज की गई है। लिहाजा अपराध झारखंड में हुआ और FIR छत्तीसगढ़ में क्यों दर्ज हुई इस पर सवालिया निशान हैं। वहीं इस FIR के जरिए एक बार फिर से ED की एंट्री झारखंड में करने की तैयारी का आरोप भी विपक्ष लगा रहा है।