राष्ट्रीय

कोलकाता रेप-मर्डर, सुप्रीम कोर्ट ने पूछा-टास्क फोर्स ने क्या किया:बंगाल सरकार बोली- वो सुझाव देना चाहती है, उन्हें 7800 अस्पतालों ने जानकारी दी

कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने रेप-मर्डर केस और वित्तीय अनियमितताओं के मामले में CBI को 3 हफ्ते में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।

कोर्ट ने बंगाल सरकार से पूछा कि टास्क फोर्स ने इस मामले में अब तक क्या किया? इस पर सरकार ने जवाब दिया कि टास्क फोर्स को 7800 अस्पतालों ने जानकारी दी है। इसके आधार पर वो सुझाव देना चाहती है।

कोर्ट ने राज्य के अस्पतालों में सिविक वॉलंटियर्स की नियुक्ति पर भी सवाल उठाए। दरअसल, आरोपी संजय रॉय कोलकाता पुलिस के साथ वॉलंटियर के तौर पर जुड़ा था।

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मामले की आगे की सुनवाई दिवाली की छुटि्टयों के बाद के लिए टाल दी है।

वहीं, घटना के विरोध में 5 अक्टूबर से जारी डॉक्टरों के आमरण अनशन का आज 10वां दिन है। 14 अक्टूबर को एक और डॉक्टर की हालत बिगड़ने के बाद उसे CCU में भर्ती करवाया गया।

कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में 8 अगस्त की रात ट्रेनी डॉक्टर का रेप और मर्डर किया गया था। इसे लेकर डॉक्टरों ने 42 दिन तक देशभर में प्रदर्शन किया था।

पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट ने आरजी कर केस में न्याय की मांग करते हुए एक ज्ञापन दिया।
पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट ने आरजी कर केस में न्याय की मांग करते हुए एक ज्ञापन दिया।

 कोलकाता रेप-मर्डर मामले में जांच पूरी गंभीरता से की जा रही है।

 ने अब तक की जांच को लेकर CBI की पांचवीं स्टेटस रिपोर्ट देखी। सुप्रीम कोर्ट ने नोट किया कि रेप-मर्डर मामले में आरोपी संजय रॉय के खिलाफ 7 अक्टूबर को चार्जशीट दायर की गई है। सियालदह अदालत ने भी इस रिपोर्ट को देखा है।

 की रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि रेप-मर्डर मामले में अन्य लोगों की भूमिका की जांच अभी जारी है। CBI तीन हफ्ते के अंदर मामले की जांच पर आगे की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे।

 सितंबर के पहले हफ्ते के बाद से नेशनल टास्क फोर्स (NTF) की कोई बैठक नहीं हुई है, केंद्र को सक्रिय कदम उठाने चाहिए। NTF की बैठकें समय-समय पर होनी चाहिए। कोलकाता के डॉक्टरों की सुरक्षा पर सिफारिशें तीन हफ्ते के अंदर तैयार की जाएं।

 ने सिविक वॉलंटियर्स की नियुक्ति पर पश्चिम बंगाल सरकार से सवाल पूछे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इन स्वयंसेवकों की नियुक्तियों और उनकी योग्यताओं से संबंधित जानकारी मांगी है।

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने CBI से पूछा था कि आरजी कर में जांच प्रक्रिया कितनी आगे बढ़ी है। CJI ने जांच के दायरे में आए लोगों के नामों की लिस्ट भी अदालत को सौंपने का भी निर्देश दिया था। 14 अक्टूबर को सीनियर एडवोकेट इंदिरा जय सिंह ने मांग की थी कि मामला गंभीर हो गया है, इसलिए इसकी जल्द सुनवाई की जाए। इस पर कोर्ट ने इसे लिस्टेड करने कहा था।

कल्याण बनर्जी का तंज- यह अनशन असली नहीं TMC सांसद कल्याण बनर्जी ने डॉक्टरों की हड़ताल पर सवाल उठाते हुए कहा- यह किस तरह की भूख हड़ताल है? यह विरोध स्थल से शुरू होती है और अस्पताल में भर्ती होने के बाद खत्म होती है। हम जानते हैं कि भूख हड़ताल आमरण अनशन है, अस्पताल में भर्ती होने का अनशन नहीं। ये डॉक्टर जो कर रहे हैं, वह अस्पताल में भर्ती होने का अनशन है। क्या उनके पेट में बस इतनी ही आग है?

TMC सांसद ने भूख हड़ताल की समय-सीमा पर भी सवाल उठाया और दावा किया कि यह धरना स्थल से शुरू होकर अस्पताल में खत्म होती है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि प्रदर्शनकारियों का मुख्य लक्ष्य मीडिया का ध्यान आकर्षित करना और अस्पताल में भर्ती होना था।

 सोमवार को पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव मनोज पंत के साथ बैठक हुई, जो बिना किसी नतीजे के खत्म हो गई।मीटिंग से बाहर आने के बाद पश्चिम बंगाल डॉक्टर्स फोरम के अध्यक्ष डॉ. कौशिक ने कहा, ‘कुछ नहीं हुआ, रिजल्ट जीरो। 10 दिन हो गए हैं, 4 डॉक्टर ICU में हैं और एक बहुत बीमार है। हमने सरकार से उन प्रदर्शनकारी डॉक्टरों से बात करने का अनुरोध किया, लेकिन उन्होंने कहा कि वे देखेंगे, उन्हें अनुमति की आवश्यकता होगी। वे अहंकारी हो रहे हैं।

बंगाल सरकार चीफ सेक्रेटरी मनोज पंत ने डॉक्टरों को मेल कर कहा है कि 15 अक्टूबर को एक दिन के लिए भूख हड़ताल और प्रोटेस्ट पर रोक लगाएं, क्योंकि इस दिन रानी रोशनी रोड से पूजो कार्निवाल निकलेगा, जिसमें पूरे स्टेट से हजारों लोग हिस्सा लेते हैं।

आरजी कर मेडिकल कॉलेज और पश्चिम बंगाल के अन्य अस्पतालों से 200 से ज्यादा डॉक्टरों ने इस्तीफा दिया है। इसे लेकर बंगाल सरकार ने कहा है कि ये सामान्य पत्र हैं, इनकी कोई कानूनी वैल्यू नहीं है। हालांकि, कई डॉक्टर यह साफ कर चुके हैं कि उनका इस्तीफा प्रतीकात्मक था और वे अब भी मरीजों को देख रहे हैं।

भूख हड़ताल पर बैठे डॉक्टरों ने कहा कि बंगाल पुलिस हड़ताल खत्म कराने के लिए दबाव डाल रही है। वह हमारे मरीजों के जरिए हम पर हड़ताल खत्म करने का प्रेशर डाल रही है। मुख्य सचिव मनोज पंत ने पश्चिम बंगाल में चल रहे हेल्थ इनीशिएटिव की स्टेटस रिपोर्ट भेजी। उन्होंने डॉक्टरों को लिखे मेल में बताया- डॉक्टरों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए मेडिकल कॉलेजों में 7,051 CCTV कैमरे, 893 नए ड्यूटी रूम और 778 वॉशरूम बनाए जा रहे हैं। इसके अलावा सभी अस्पतालों में अलार्म सिस्टम और बायोमेट्रिक एक्सेस कंट्रोल सिस्टम भी लगाए जा रहे हैं।

IMA के चीफ डॉक्टर अशोकन ने भूख हड़ताल कर रहे डॉक्टरों से मुलाकात की। उन्होंने कहा- ये बच्चे अपने लिए नहीं, बल्कि लोगों के हित के लिए लड़ रहे हैं। वे असली हीरो हैं और हम सभी को उन पर गर्व है।

भूख हड़ताल पर बैठे डॉक्टरों के स्वास्थ्य की जानकारी के लिए ममता सरकार ने 4 विशेषज्ञ डॉक्टरों को भूख हड़ताल वाली जगह पर भेजा। उन्होंने डॉक्टरों को तबीयत बिगड़ने से पहले अस्पताल में भर्ती होने का सुझाव दिया।

मुख्य सचिव मनोज पंत के साथ डॉक्टरों के एक दल ने 9 अक्टूबर को करीब 2 घंटे तक मीटिंग की। साल्ट लेक में स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय में हुई इस बैठक में राज्य भर के मेडिकल कॉलेज के लगभग 20 प्रतिनिधि शामिल हुए थे। डॉक्टरों ने आरोप लगाया कि उन्हें आश्वासन के अलावा कुछ भी नहीं मिला। जूनियर डॉक्टर बोले- राज्य सरकार ने दुर्गा पूजा के बाद मांगों के बारे में सोचने की बात कही है।

आरजी कर अस्पताल के 106 डॉक्टरों और फैकल्टी ने इस्तीफा दिया। जलपाईगुड़ी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के 19, सिलीगुड़ी के नॉर्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के 42, कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के 35 और कोलकाता के मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के करीब 70 डॉक्टर इस्तीफा दे चुके हैं।

Related Articles

Back to top button