छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में था रावण के पिता ऋषि विश्रवा का आश्रम

रायपुर .छत्तीसगढ़ में भगवान राम ने अपने वनवास का सबसे लंबा समय बिताया था। इसे लेकर राज्य सरकार राम वन गमन पथ परियोजना पर भी काम कर रही है। अब राम वन गमन शोध संस्थान ने प्रदेश में रावण से जुड़े साक्ष्य मिलने का दावा किया है।

संस्थान का कहना है- रावण के पिता ऋषि विश्रवा का आश्रम यहां था। इसी के चलते इस स्थान का नाम बिश्रामपुर पड़ा। ऋषि-मुनी जहां चातुर्मास करते थे, वहां उनके आश्रम बनाए जाते थे। तब के दक्षिण कोसल में विश्रवा ऋषि ने चातुर्मास किया था।

वाल्मीकि रामायण में उल्लिखित 24 ऋषि आश्रम, 20 नदियों का संगम और 124 स्थानों के अध्ययन के बाद ही शोध संस्थान ने राम वन गमन पथ का नक्शा तैयार किया था। इसी दौरान रावण के पिता से जुड़े इतिहास की जानकारी भी मिली थी।

राम वन गमन पथ शोध संस्थान की लिखी ‘छत्तीसगढ़ की रामायण’ में बताया गया है कि दण्डकारण्य ऋषि मुनियों का अपना स्वशासित क्षेत्र था। वहां राजाओं का कोई अधिकार नहीं होता था। इनकी सीमाओं पर रावण ने कब्जा कर रखा था।

रावण के आधिपत्य वाले क्षेत्र के समीप दक्षिण कोसल राज्य था। इस राज्य में आज के रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, बिलासपुर, रायगढ़, संबलपुर जनपद थे। दक्षिण कोसल के राजा भानुमंत चंद्रवंशी के प्रताप के चलते रावण वहां जाने का साहस नहीं करता था।

इसके दो कारण थे। स्वयं भानुमंत की शक्तियों के अतिरिक्त उनके राज्य के चारों ओर ऋषि-मुनियों के आश्रमों के ब्रह्मचारी सैनिकों की एक बड़ी शक्ति थी। ऋषि मंडलियों का ऐसा फैला हुआ क्षेत्र था, जो दक्षिण कोसल राज्य की सुरक्षा के लिए समर्पित था।

राजा भानुमंत की शक्ति के साथ ऋषियों की मिली हुई शक्ति के कारण रावण भयभीत रहता था। रावण खुद कभी विश्वामित्र, जमदग्नि, शरभंग, अगस्त्य, सुतीक्ष्ण आदि ऋषियों सामने नहीं गया था।

छत्तीसगढ़ में भगवान राम के वन गमन पथ पर शोध करने वाले संस्थान ने 10 सालों तक इस पर रिसर्च किया। जिसमें अध्यक्ष श्याम बैस के साथ भाषाविद् मन्नु लाल यदु, पुरातत्ववेत्ता हेमू यदु, राम मेहरोत्रा, योगेश यादव, राजा पांचजन्य यदु, डॉ सुरेंद्र यदु और डॉ राजेन्द्र पाटकर शामिल थे। इनमें मन्नु लाल यदु और हेमू यदु का निधन हो चुका है।

संस्थान के अध्यक्ष श्याम बैस, महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल रमेश बैस के भाई हैं। रमन सरकार में श्याम बैस RDA और बीज निगम के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। रिसर्च के आधार पर संस्थान की पूरी टीम ने एक किताब भी लिखी है, जिसका नाम छत्तीसगढ़ पर्यटन में राम वन गमन पथ है।

इस किताब में 75 स्थानों का उल्लेख है। 2260 किलोमीटर के परिपथ में में पिछली कांग्रेस सरकार ने कोरिया से सुकमा तक पहले चरण में 9 स्थानों को विकसित किया। तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 7 अक्टूबर, 2021 को राम वन गमन पथ योजना की शुरुआत माता कौशल्या की नगरी चंदखुरी से की थी। इसके लिए 162 करोड़ का प्रस्ताव बनाया गया।

Related Articles

Back to top button