छत्तीसगढ़

तो क्या IG और DIG की रिपोर्ट करने वाली टीम लिप्त है

नागपुर  त्योहारो के सीजन में रेलवे टिकटों की मारा-मारी शुरू हो गई है. इसी बीच आरपीएफ के आईजी मुन्नवर खुर्शीद ने पिछले दिनों मीटिंग में उन्होंने टिकट दलालों (अवैध) पर सख्त कार्ऱवाई के निर्देश दिए है. लेकिन इसी बीच एक शिकायत ने आरपीएफ में हड़कंप मचा दिया है. ये शिकायत उस टीम पर सवाल उठा रही है जिनकी जिम्मेदारी आरपीएफ के स्टॉफ पर गोपनीय निगरानी रखने की है और इसकी गोपनीय रिपोर्ट अपने इस्पेक्टर के माध्यम से वे सीधे जोन के आईजी और डीआईजी को सौंपते है. इसी टीम पर एक यात्री ने गंभीर आरोप लगाए है, जिसकी जांच अब शुरू हो गई है.

 

दरअसल नागपुर रेल मंडल के गोंदिया आरक्षण केंद्र में एसआईबी  के एक एएसआई पर एक यात्री ने गंभीर आरोप लगाए है. यात्री ने आरोप लगाए है कि एसआईबी के एएसआई ने तत्काल टिकट बनने के ठीक 2 मिनट पहले यानी 9 बजकर 58 मिनट पर काउंटर पर आए और उनका फार्म ले कर यात्री के संबंध में पूछताछ करने लगे. उन्होंने फार्म में लिखे यात्रियों को फोन भी किया. जबकि एसआईबी के पास सीधे यात्री से बातचीत करने का कोई अधिकार नहीं होता है, उनका काम आरपीएफ पर निगरानी और अपनी गोपनीय रिपोर्ट विभाग को सौंपने का होता है. ये काम वर्दी में मौजूद आरपीएफ की टीम संदेह के आधार पर जरूर कर सकती है.

 

यात्री ने अपनी शिकायत में ये आशंका जताई है कि उनके ये सब करने के पीछे या तो काउंटर पर अपनी टिकट बनवाना था या काउंटर पर जो टिकट बनाई जा रही थी उसे छिपाना.  से बातचीत की. काउंटर पर टिकट बनाने गए यात्री के रिश्तेदार ने बताया कि वे गोंदिया आरक्षण केंद्र के (रेल टोली साईड) के काउंटर नंबर 11 पर गए हुए थे और तब उनके आगे-पीछे कोई नहीं था और उनकी टिकट बनने के ठीक बाद आरक्षण केंद्र का पर्दा नीचे कर दिया गया, इसके बाद वहां क्या हुआ ये सब सीसीटीवी कैमरे में मौजूद है.

 

उक्त शिकायतकर्ता ने  बताया कि वे अपने परिवार के सदस्यों की टिकट बनाने दो दिन पहले भी गए थे. उक्त शिकायतकर्ता का दावा है कि दिवाली के मौके पर ऑन लाइन टिकटें बुक नहीं हो रही है. ऐसे में पुणे में रहने वाले परिवार के सदस्य की दो बेटियों की टिकट बनाने वे दो दिनों पहले भी गए थे. तब भी एसआईबी के उक्त एएसआई आए थे, तब उनके साथ एक आरपीएफ स्टॉफ भी था. यात्री ने बताया कि तब उन्होंने बाहर से ये आवाज लगाया कि ‘काउंटर में 200/300/500 लेकर लाईन लगने वाले जो भी हो वो बाहर निकल जाए, नहीं तो उनके खिलाफ कार्ऱवाई होगी और 3 साल की जेल होगी… उनका मालिक भी उन्हें बचाने नहीं आएगा’ अब सवाल ये है कि आरपीएफ बिना जांच किए ये कैसे कह सकती है कि काउंटर में टिकट बनाने वाला हर व्यक्ति दलाल हो ? और एसआईबी को आरक्षण केंद्र के पास जाकर ऐसा कहने का अधिकार किसने दिया ?

 

अब इस मामले में यात्री की शिकायत के बाद सीसीटीवी फुटेज की जांच शुरू कर दी गई है. वहीं आरक्षण केंद्र में मौजूद स्टॉफ भी संदेह के दायरे में है. शिकायतकर्ता का दावा है कि जब उक्त एसआईबी के स्टॉफ ने उसके रिश्तेदार को फोन किया तब उन्होंने देखा कि उनके फोन में आरक्षण केंद्र के एक स्टॉफ के नाम से फोन आ रहा था.  शिकायतकर्ता से ये भी पूछा कि उन्हें ये कैसे पता चला कि उक्त व्यक्ति एसआईबी का एएसआई ही था ? तो उन्होंने बताया कि जब उन्होंने शिकायत की तो उन्हें आरपीएफ पोस्ट से जानकारी के लिए फोन आया, जिसके बाद उन्हें पता चला कि उक्त व्यक्ति एसआईबी का एएसआई था. बता दें कि आरपीएफ की डायरेक्टिव 52 में एसआईबी की पूरी कार्यप्रणाली का जिक्र है. जिसमें यात्री से आरक्षण केंद्र में पूछताछ करने का कोई जिक्र नहीं है.

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