वायनाड लैंडस्लाइड में 134 शव टुकड़ों में मिले:341 का पोस्टमॉर्टम, 206 की पहचान हुई; डेडबॉडी ढूंढने सेना के डीप सर्च रडार मंगाए गए
केरल के वायनाड में 29-30 जुलाई की रात भारी बारिश के बाद हुए लैंडस्लाइड में मरने वालों की संख्या 341 पहुंच गई है। इन सभी शवों का पोस्टमॉर्टम हो चुका है। इनमें 146 शवों की पहचान हो चुकी है। 134 लोगों के शरीर के सिर्फ टुकड़े बरामद हुए हैं।
सेना ने 1 अगस्त को मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा गांवों में रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म होने की जानकारी दी थी। अब सिर्फ मलबे में दबे शवों को ढूंढने का काम चल रहा है। कई जगह जमीन के अंदर मलबे में 20 से 30 फीट तक शवों के दबे होने की आशंका है।
सेना ने ऐसे इलाकों को सैनेटाइज करने के लिए डीप सर्च रडार मंगाया है। यह रडार जमीन के अंदर 80 मीटर तक की गहराई में इंसानों के फंसे होने का पता लगाता है। सेना इस रडार का इस्तेमाल बर्फीले इलाकों, खासकर सियाचिन ग्लेशियर, पहाड़ी चोटियों और एवलांच के दौरान करती है।
सर्च ऑपरेश के पांचवे दिन के अपडेट्स…
- वायनाड लैंडस्लाइड के सर्च ऑपरेशन का आज पांचवा दिन है। वायनाड प्रशासन ने माना कि राहत-बचाव कार्य में वह मजबूत कदम उठाने में नाकाम रहा।
- प्रशासन के मुताबिक जिन शवों की पहचान हुई है, उन्हें उनके परिवार को सौंप दिया गया है। जबकि 74 अज्ञात शवों का अंतिम संस्कार आज किया जाएगा।
- मेप्पडी के 17 रिलीफ कैंप में 707 परिवारों के 2 हजार 597 लोगों को रखा गया है। इलाके में 91 कैंप बनाए गए हैं, इनमें 10 हजार से ज्यादा लोग हैं।
- केरल में आज भी भारी बारिश का अलर्ट है। इनमें कोझिकोड, वायनाड, कन्नूर और कासरगोड जिलों में यलो अलर्ट है।
- पश्चिम बंगाल के श्रम मंत्री मलय घटक ने विधानसभा में बताया कि केरल के लैंडस्लाइड प्रभावित वायनाड में राज्य के 242 प्रवासी मजदूर फंसे हुए हैं।
वेस्टर्न घाट को ईको सेंसटिव एरिया घोषित करने के लिए सरकार ने ड्राफ्ट बनाया
केंद्र सरकार ने केरल के वायनाड में 13 गांवों समेत छह राज्यों में पश्चिमी घाट के 56,800 वर्ग किमी से ज्यादा क्षेत्र को इकोलॉजिकली सेंसिटिव एरिया (ESA) घोषित करने जा रहा है। इसके लिए एक ड्राफ्ट का नोटिफिकेशन जारी किया है, जिसमें 60 दिनों के भीतर सुझाव और आपत्तियां मंगाए गए हैं।
ड्राफ्ट में केरल के 9,993.7 वर्ग किमी को ESA के तहत लाने का प्रस्ताव है। इसमें लैंडस्लाइड प्रभावित जिले की दो तालुका के 13 गांव शामिल हैं। हालांकि, इनमें आपदा प्रभावित मुंडक्कई, चूरलमाला और अट्टामाला शामिल नहीं हैं।