जशपुर. छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में चौथी कक्षा की छात्रा को शिक्षिका द्वारा प्रताड़ित किए जाने का मामला सामने आया है. प्रताड़ना भी इस कदर कि छात्रा अब चलने में असमर्थ हो गई है. इलाज के बावजूद कोई सुधार नहीं आया है. इस मामले में स्कूल प्रबंधन बच्ची के इलाज का खर्च उठा रहा है पर अपनी गलती स्वीकार करने से अब भी बचता नजर आ रहा है. पूरा मामला जशपुर जिले के बगीचा विकासखंड के एक निजी स्कूल का है, जो स्वामी विवेकानंद पब्लिक स्कूल के नाम से घोरडेगा में संचालित है.
इस मामले में जब चाइल्ड लाइन की टीम पीड़ित बच्ची के घर पहुंची तो सारा मामला सामने आया. जो बातें सामने आई है वह चौंकाने वाली थीं. दरअसल छात्रा प्रश्नोत्तर याद करके स्कूल नहीं गई थी, जिस पर शिक्षिका पद्मनी चक्रवर्ती ने नाराजगी जाहिर की और दो सौ बार उठक बैठक करने का आदेश दे दिया. बच्ची पहले से शारीरिक रूप से कमजोर थी. उसने जैसे तैसे 70 बार उठक बैठक किया, जिसके बाद उसकी हालत बिगड़ गई.
बच्ची की हालत ज्यादा बिगड़ती इससे पहले उसका इलाज का जिम्मा स्कूल प्रबंधन ने लिया और मामला शांत करा दिया. अब जब बच्ची चलने में असमर्थ हो गई तो बातें चाइल्ड लाइन तक पहुंची और आनन-फानन में बच्ची के उच्च स्तरीय इलाज कराए जाने की बात स्कूल प्रबंधन ने कही है. हालांकि बच्ची के परिजन अब भी कुछ बोलने से बच रहे हैं. उनका कहना है कि उनकी बच्ची का इलाज हो जाए, वह पहले जैसे चलना शुरू कर दे.
निजी स्कूलों की मनमानी चरम पर है, जहां मनमाने तरीके से बच्चों को ट्रीट किया जाता है. यहां शिक्षा विभाग के दिशा निर्देशों का पालन तक नहीं होता. सबसे बड़ी बात यह कि जिम्मेदार अधिकारी भी निजी स्कूलों का दौरा नहीं करते, जिसके कारण ऐसी घटनाएं सामने आती हैं. नाबालिग बच्चों से जुड़े उक्त मामले में जांच बयान का अधिकार चाइल्ड लाइन व बाल कल्याण समिति के पास है. लिहाजा इस संवेदनशील मुद्दे पर स्वतंत्र रूप से बच्चों के बयान लेकर संबंधित शिक्षिका व स्कूल प्रबंधन पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए, जिससे भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो.
इस मामले में बीईओ मनीराम यादव ने बताया कि घटना की जांच कराई जा रही है. बच्ची के माता-पिता ने घटना से इंकार किया है. अन्य तथ्यों के सामने आने पर कार्रवाई की जाएगी.