छत्तीसगढ़

केस में समझौते को लेकर CJI की टिप्पणी, चिंता का विषय

दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि लोग अदालती कार्यवाही से इतने त्रस्त हो चुके हैं कि वे किसी तरह बस समझौता चाहते हैं। उन्होंने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया वादियों के लिए एक सजा हो गई है। लोग इससे छुटकारा पाने के लिए अक्सर कम समझौते को भी स्वीकार कर लेते हैं। सीजेआई चंद्रचूड़ ने लोक अदालतों की भूमिका और महत्व पर प्रकाश डालते हुए ‌कहा कि यह (लोक अदालत) एक ऐसा मंच हैं, जहां अदालतों में या मुकदमेबाजी से पहले लंबित विवादों और मामलों का सौहार्द्रपूर्ण ढंग से समझौता किया जाता है। उन्होंने कहा कि आपसी सहमति से हुए समझौते के खिलाफ कोई अपील भी दाखिल नहीं की जा सकती।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट के 75 साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित ‘विशेष लोक अदालत’ के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। 29 जुलाई से 3 अगस्त तक चले इस विशेष लोक अदालत के समापन के मौके पर उन्होंने कहा कि अदालती कार्यवाही से लोग इतना परेशान हो जाते हैं कि वे अदालती ‌मामलों से कोई भी समझौता चाहते हैं, जज के रूप में यह हम सभी के लिए चिंता का विषय है। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि ‘लोक अदालतों के माध्यम से न्याय देने की प्रक्रिया को संस्थागत बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उन्हें हर स्तर पर लोक अदालत की स्थापना में बार और बेंच (वकीलों और जजों) सहित सभी से समर्थन मिला। सीजेआई ने अपने संबोधन में कहा कि जब विशेष लोक अदालत के लिए उन्होंने पैनल गठित किए गए थे, तो यह सुनिश्चित किया गया था कि प्रत्येक पैनल में दो न्यायाधीश और दो वकील होंगे। उन्होंने कहा कि ‘ऐसा करने के पीछे उनका मकसद अधिवक्ताओं को संस्था पर स्वामित्व देना था क्योंकि यह ऐसी संस्था नहीं है जिसे केवल न्यायाधीश चलाते हैं। उन्होंने कहा कि यह जजों के लिए, जजों द्वारा जजों की संस्था नहीं है। इस अवसर पर केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, सुप्रीम कोर्ट के अन्य न्यायाधीश, बार एसोसिएशन के अधिकारी शामिल हुए।

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