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महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर भूचाल आएगा?

मुंबई: महाराष्ट्र में बड़ी सियासी उथल-पुथल के आसार हैं। अटकलें हैं कि विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) अजित पवार से दूरी बना सकती है। हालांकि, अब तक भाजपा या राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) ने आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा है। हाल ही में राष्ट्रीय स्वयं संघ यानी RSS ने मुखपत्र में पवार के साथ भाजपा के गठबंधन पर सवाल उठाए थे। न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से लिखा है कि भाजपा नेतृत्व के एनसीपी तोड़ने और लोकसभा चुनाव से पहले अजित पवार गुट के साथ जाने से संघ खुश नहीं है। सूत्रों का कहना है कि भाजपा अजित से नाता तोड़कर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना के साथ विधानसभा चुनाव के मैदान में उतर सकती है।

अंग्रेजी अखबार से बातचीत में भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘आरएसएस-भाजपा कैडर पवार विरोधी नारे के साथ तैयार किया गया है। सिंचाई और महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक घोटाले से तार होने के चलते वे जित पवार विरोधी है। लेकिन जब पवार ने भाजपा के साथ हाथ मिलाए, तब पवार विरोधी नारा खत्म हो गया। जख्म पर नमक छिड़कने हुआ और उन्हें महायुति सरकार में डिप्टी सीएम बना दिया गया।’ रिपोर्ट के अनुसार, एक नेता ने कहा, ‘लोकसभा चुनाव में यह साफ दिख रहा था कि आरएसएस-भाजपा कैडर एनसीपी उम्मीदवारों के प्रचार के लिए तैयार नहीं थे और कई स्थानों पर उनका मन नहीं था। नतीजा यह हुआ कि भाजपा का आंकड़ा कम हो गया।’ रिपोर्ट के मुताबिक, संघ कार्यकर्ता रतन शारदा ने लेख में कहा कि अजित के साथ गठबंधन करने ने भाजपा की ‘ब्रांड वैल्यू’ कम कर दी है।

अखबार ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि भाजपा विचार कर रही है कि विधानसभा चुनाव में अजित के साथ न जाने का असर क्या होगा। रिपोर्ट के अनुसार, एक अन्य नेता ने कहा, ‘अगर हमारी पार्टी अजित का साथ छोड़ती है और शिंदे के साथ विधानसभा चुनाव लड़ती है तो ऐसा लग सकता है कि भाजपा ने अजित का इस्तेमाल किया और फेंक दिया।’ उन्होंने कहा, ‘यह यूज एंड थ्रो पॉलिसी पलटवार कर सकती है, लेकिन एक और तस्वीर यह है कि अजित को साथ रखना भी शायद फायदेमंद साबित न हो। चुनाव ने दिखा दिया है कि अजित जिम्मेदारी है और भाजपा को साथ पर विचार करना होगा।’

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